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Bharati Bhawan Solutions for Class 10th Physics (Science) in Hindi Medium Chapter 5 (10 वीं भौतिकी विज्ञान नोट्स हिंदी में 2021)

भौतिकी :पाठ -5

विद्युत-धारा का चुंबकीय प्रभाव


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10th Physics Solutions (Notes) in Hindi for Bihar Board, MP Board, UP Board, Rajasthan, Chhattisgarh, NCERT, CBSE and so on.: इस  ब्लॉग में हाई स्कूल भौतिकी विज्ञान 10 वी सोलुशन नोट्स दिए हैंये सोलूशिन नोट्स परीक्षा के दृष्टी से बहुत बहुत ज्यादा महत्वूर्ण है आप इसे पढ़कर परीक्षा में अच्छा स्कोर कर सकते हैं  


10th Physics Solutions (Notes) in Hindi


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. चुंबक के उत्तर तथा दक्षिण ध्रुव को मिलानेवाली रेखा को क्या कहते हैं?

उत्तर – चुंबकीय अक्ष


2. चुंबक के सिरे के निकट का वह बिंदु जहां चुंबक का आकर्षण बल सबसे अधिक होता है उसे क्या कहते हैं?

उत्तर – ध्रुव


3. क्या दो चुंबकीय रेखाएं एक-दूसरे को काट सकती है?

उत्तर – नहीं 


4. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?

उत्तर – चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं फैली होती है, जब सुई को निकट लाया जाता है तो चुंबकीय क्षेत्र द्वारा चुंबकीय बल दिक्सूचक की सुई पर लगती है और वह विक्षेपित हो जाती है।


5. ऑस्ट्रेड के प्रयोग में चुंबकीय सुई के विचलन की दिशा किन किन बातों पर निर्भर करती हैं।

उत्तर – धारा की दिशा पर और चुंबकीय सुई के स्थान पर (तार के ऊपर है या नीचे)


6. परिनालिका किसे कहते हैं?

उत्तर – जब एक लंबे विद्युतरोधित चालक तार को सर्पिल रूप में इस प्रकार लपेटा जाए कि तार के फेरे एक-दूसरे से अलग, परंतु अगल-बगल हों, तो इस प्रकार की व्यवस्था को परिनालिका कहते हैं।


7. क्रोड किसे कहा जाता है?

उत्तर – परिनालिका में रखे नरम लोहे के छड़ को क्रोड कहा जाता है।


8. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाइए।

उत्तर – स्थायी चुंबक, विद्युत चुंबक और पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र।


9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विधुत-धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?

उत्तर – जब चालक तार में प्रवाहित विद्युत-धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत होती है।


10. विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण किसे कहते हैं?

उत्तर – जब किसी चुंबक तथा तार की बनी एक बंद कुंडली के बीच की दूरी को शीघ्रता से बदला जाए तो कुंडली में एक क्षणिक के लिए विद्युत धारा प्रवाहित होती है, जब तक कुंडली तथा चुंबक के बीच अपेक्षित गति रहती है, तो इस घटना को विधुत चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है।


11. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।

उत्तर –  विद्युत पंखा, रेफ्रिजरेटर, कम्प्यूटर, मिश्रक्र, लेथ मशीन, टेपरिकॉर्डर इत्यादि में विधुत मोटर का उपयोग किया जाता है।


12. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?

उत्तर – विद्युत मोटर का सिद्धांत है कि विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करना। यानी ये विधुत ऊर्जा का उपयोग करके अपने आर्मेचर को घुमाने में करता है।


13. विद्युत जनित्र क्या है?

उत्तर – विद्युत जनित्र एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।


14. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए। 

उत्तर – विद्युत जनित्र का सिद्धांत विधुत-चुंबकीय प्रेरण पर आधारित है इसमें यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग करके आर्मेचर को क्षेत्र चुंबक में तेजी से घुमाना और उत्पन्न प्रेरित धारा का उपयोग कर अन्य यंत्र को विधुत ऊर्जा प्रदान करना।


15. विद्युत जनित्र का क्या उपयोग है?

उत्तर – विद्युत जनित्र का उपयोग दिष्ट धारा एवम् प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करने में किया जाता है।


16. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतो के नाम लिखिए।

उत्तर – दिष्ट धारा जनित्र, कार डायनेमो, शुष्क सेल, बटन सेल इत्यादि स्रोत है दिष्ट धारा का।


17. प्रत्यावर्ती विधुत-धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोतों के नाम लिखिए।

उत्तर – प्रत्यावर्ती धारा जनित्र, तापीय विधुत संयंत्र, जल विद्युत संयंत्र, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र इत्यादि स्रोत है प्रत्यावर्ती विधुत-धारा का।


18. विद्युन्मय, उदासीन तथा भू-तारों के विद्युतरोधी आवरण सामान्यत किस-किस रंग के होते हैं?

उत्तर – विद्युन्मय तार लाल रंग, उदासीन तार काला रंग तथा  भू-तार हरे रंग के विद्युतरोधी आवरण रहते हैं।


19. किसी विद्युत-परिपथ में लघुपतन कब होता है?

उत्तर – जब कभी तारों पर लगा विद्युतरोधी परत खराब या क्षतिग्रस्त हो जाता है और आपस में संपर्क में आ जाता है। इस तरह से संपर्क में आने से परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और परिपथ में बहुत अधिक धारा प्रवाहित होने लगती है, और लघुपतन हो जाता है।


20. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है?

उत्तर – भूसंपर्क तार को सुरक्षा की दृष्टि से लगाया जाता है। जब भी विधुत धारा अवश्यकता से अधिक हो जाता तो ये यह भूसंपर्क तार धारा को भूमिके अंदर ले जाता है धारा को संतुलित करता है।


21. घरेलू कार्यों के लिए व्यवहार की जानेवाली बिजली क्या है?

उत्तर – हमारे घरों में जो विद्युत आपूर्ति की जाती है वह 220 V पर प्रत्यावर्ती वोल्टता होती है जिसकी ध्रुवता प्रत्येक सेकंड में 100 बार परिवर्तित होती है, यानी इसकी आवृति 50 Hz होती है। इसे मेनलाइन पावर कहा जाता है और जिन तारों द्वारा यह आपूर्ति होती है उन्हे मेन्स कहते हैं। मेन्स में प्राय दो तार होते हैं एक 5 A का दूसरा 15 A का, 5 A वाले को घरेलू लाइन तथा 15 A वाले को पावर लाइन कहते हैं। हमारे घरों में जिस उपकरण को जितना धारा की मात्रा चाहिए वह उसका उपयोग करता है।


22. घरों के विधुत-परिपथ में विधुत उपकरण किस क्रम में जोड़े जाते हैं?

उत्तर – समांतरक्रम में जोड़े जाते हैं।


23. मुख्य धारा में वोल्टता का अधिकतम मान जिसके लिए फ्यूज पिघल जाता है, वह फ्यूज के किस गुण को निर्धारित करता है?

उत्तर – फ्यूज की क्षमता को


24. क्या मैक्सवेल के दक्षिण हस्त नियम में मुट्ठी की अंगुलियों की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है?

उत्तर – हां।


10th Physics Solutions (Notes) in Hindi


लघु उत्तरीय प्रश्न

1. चुंबकीय पदार्थ और अचुंबकीय पदार्थ क्या है?

उत्तर – चुंबकीय पदार्थ- वैसे पदार्थ जिन्हे चुंबक आकर्षित करता है अथवा जिनसे कृत्रिम चुंबक बनाए जाते हैं, चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे - लोहा, कोबाल्ट, निकेल आदि।

अचुंबकीय पदार्थ - वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित नहीं करता, अचुंबकीय पदार्थ कहलाता है। जैसे - कांच, कागज, पीतल आदि।


2. किसी छड़-चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं खींचिए।

उत्तर – इस चित्र को खींचने के लिए भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 94 में चित्र 5.2b देखें।


3. चुंबकीय क्षेत्र-रेखाओं के गुण की सूची बनाइए।

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र-रेखाओं के गुण की सूची निम्न है -

(i) चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं बंद वक्र में होती है।

(ii) चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती है और पुनः चुंबक के भीतर होती हुई उत्तरी ध्रुव पर वापस आ जाती है।

(iii) चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं दूरी के अनुसार घनत्व में कम होती चली जाती है।

(iv) चुंबकीय क्षेत्र-रेखा के किसी बिंदु पर पर खींचा गया स्पर्श रेखा उस बिंदु पर उस क्षेत्र की दिशा बताती है।

(v) चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं एक दूसरे को नहीं कटती है।

(vi) चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं जिस स्थान पर जितनी होती है वहां चुंबकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है। चुंबक के ध्रुवों के निकट चुंबकीय क्षेत्र प्रबल होता है।


4. दो चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती?

उत्तर – दो चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती। यदि वे एक-दूसरे को प्रतिच्छेद करती तो प्रतिच्छेद बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं खींचना संभव होता यानी उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं होती, जो संभव नहीं है। इसीलिए वे एक दूसरे को नहीं प्रतिच्छेद करती ।


5. एकसमान चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करनेवाली चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं कैसी होती हैं?

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं समांतर और एक-दूसरे से बराबर दूरी पर होती है।


6. सीधी धारा के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कैसी होती है?

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएं संकेंद्री वृत के प्रारूप में होता है।


7. मेज के तल में पड़े तार के वृताकार पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।

उत्तर – जब तार का एक गोलाकार लूप टेबल के नीचे होता है, तो लूप का अंतर चुंबकीय क्षेत्र नीचे की ओर फर्श पर लंबवत होगा। पारा के बाहर चुंबकीय क्षेत्र लंबवत नीचे से ऊपर की ओर होगा।


8. मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम लिखें।

उत्तर – मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम - यदि धारावाही तार को दाएं हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाय कि अंगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो, तो हाथ की अन्य अंगुलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।


9. परिनालिका चुंबक की भांति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते है?

उत्तर – जब परिनालिका में विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तब परिनालिका के भीतर तथा उसके आसपास चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। धारावाही परिनालिका एक छड़ चुंबक के समान व्यवहार करता है। परिनालिका का एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिण ध्रुव हो जाता है। इसका पता हम मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम से कर सकते हैं , यदि परिनालिका को दाहिने हाथ से इस तरह पकड़ा जाए कि उंगलियां धारा की दिशा में हो, तो अंगूठा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होगा और यही उत्तरी ध्रुव जैसा काम करेगा। और अंगूठा का उल्टा दिशा में दक्षिण ध्रुव होगा।


10. विद्युत चुंबक और स्थयी चुंबक में क्या अंतर है?

उत्तर – विद्युत चुंबक - वैसा चुंबक जिसमें चुंबकत्व उतने ही समय तक विद्यमान रहता है जितने समय तक परिनालिका में विधुत धारा प्रवाहित होती रहती है। इसको बनाने के सामान्यत नरम लोहे का उपयोग किया जाता है। इसको गर्म करने से इसका चुंबकत्व नष्ट नहीं होता है। इसका चुंबक का आकर्षण बल ज्यादा नहीं होता।

स्थयी चुंबक - वैसा चुंबक जिसका चुंबकत्व शीघ्र नष्ट नहीं होता स्थायी होता है, इसको बनाने के लिए इस्पात का उपयोग किया जाता है। इसको गर्म करने से इसका चुंबकत्व नष्ट होता है। इसका चुंबक का आकर्षण बल बहुत ज्यादा नहीं होता।


11. विद्युत-चुंबक में नर्म लौह क्रोड का इस्तेमाल क्यों होता है?

उत्तर – क्योंकि नर्म लोहे को आसानी से चुंबकित और अचुम्बकित किया जा सकता है तथा इसका चुंबकत्व भी अधिक होता है।


12. फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम लिखें और समझाएं।

उत्तर – फ्लेमिंग का वाम-हस्त - यदि हम अपने बाएं हाथ की तीन अंगुलियों मध्यमा, तर्जनी तथा अंगूठे को परस्पर लंबवत फैलाएं और यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा को दर्शाते हैं, तब अंगूठा धारावाही चालक पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करता है।

उदहारण के लिए, यदि एक ऊपर की ओर खड़े तार में धारा ऊपर की ओर प्रवाहित किया जाय और चुंबकीय क्षेत्र पूर्व से पश्चिम की ओर हो तो फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम से बाएं हाथ की मध्यमा को धारा की दिशा में, अर्थात ऊपर की ओर तथा तर्जनी को चुंबकीय क्षेत्र की दिशा, अर्थात पश्चिम की ओर करने पर हम पाते हैं कि अंगूठा दक्षिण की ओर इंगित करता है। अतः चालक पर बल की दिशा दक्षिण की ओर होगी।


13. मान लीजिए आप किसी कमरे में अपनी पीठ को किसी एक दीवार के लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजत गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाई ओर विक्षेपीत हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है? 

उत्तर – चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वधरत: नीचे की ओर है।


14. कोई विद्युतरोधी तांबे के तार की कुंडली किसी गैल्वनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़-चुंबक 

(i) कुंडली में धकेला जाए?

(ii) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाए?

(iii) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाए?

उत्तर – (i) गैल्वनोमीटर में एक ओर विक्षेप होगा।

(ii) गैल्वनोमीटर में विपरीत दिशा में विक्षेप होगा

(iii) कोई विक्षप नहीं होगा


15. दो वृताकार कुंडली A तथा B एक दूसरे के निकट स्थित है। यदि कुंडली A में विधुत-धारा में कोई परिवर्तन करे तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।

उत्तर – हां होगी, कोई फैराडे के विधुत चुंबकीय प्रेरण के अनुसार अगर चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव आयेगा तो सामने वाली कुंडली में विधुत धारा उत्पन्न होगी। इसीलिए यदि कुंडली A में विधुत-धारा में कोई परिवर्तन करेंगे तो चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन आएगा जिसके कारण कुंडली B में विद्युत धारा प्रेरित होगी।


16. फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम लिखें और समझाएं।

उत्तर – लघु उत्तरीय प्रश्न में प्रश्न संख्या 12 का उत्तर देखें ।


17. किसी कुंडली में विधुत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – किसी कुंडली में विधुत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग निम्नलिखित है -

(i) एक छड़ चुंबक को कुंडली के अंदर बाहर करके

(ii) किसी दूसरी कुंडली में विधुत-धारा का परिवर्तन करके

(iii) दूसरी कुंडली में चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन करके भी हम धारा प्रेरित कर सकते हैं।


18. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?

उत्तर – यह दिक्परिवर्तक का कार्य करता है यानी ये प्रेरित धारा की दिशा को बदलने का कार्य करता है।


19. दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर – दिष्ट धारा - एक हि दिशा में विधुत धारा के स्थायी प्रवाह को दिष्ट धारा कहते हैं। इसमें धारा की दिशा एक रहती है और धारा का मान/परिमाण भी एक ही रहता है। ये ज्यादा पावर की हानि करता है। इसका उत्पादन बहुत महंगा पड़ता है।

प्रत्यावर्ती धारा - ऐसी विद्युत धारा जिसका परिमाण और दिशा समय के घटता बढ़ता है, उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं। इसका उपयोग हमारे घरों में प्रत्यावर्ती धारा का ही प्रवाह होता है। ये कम पावर की हानि करता है। इसका उत्पादन थोड़ा कम पड़ता है दिष्ट धारा की तुलना में।


20. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करनेवाली नियम लिखिए -

(i) किसी विद्युत-धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र

(ii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा

(iii) किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विधुत-धारा।

उत्तर – (i) मैक्सवेल का दक्षिण-हस्त नियम 

(ii) फ्लेमिंग का वाम-हस्त नियम 

(iii) फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम


21. मेनलाइन में अतिभारण तथा लघुपतन कैसे उत्पन्न होता है?

उत्तर – लघुपतन - जब कभी तारों पर लगा विद्युतरोधी परत खराब या क्षतिग्रस्त हो जाता है और आपस में संपर्क में आ जाता है। इस तरह से संपर्क में आने से परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और परिपथ में बहुत अधिक धारा प्रवाहित होने लगती है, और लघुपतन हो जाता है।

अतिभारण - जब कोई उपकरण अपनी कुल अवश्यकता से अधिक विधुत धारा खींचने लगता है तो परिपथ में धारा मान एक सीमित सीमा से ऊपर चला जाता है जिसे अतिभारण कहा जाता है। यह दो तीन विधुत युक्तियों को एक ही कनेक्शन में जोड़ देने के कारण होता है।


22.  धातु के आवरण वाले विधुत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?

उत्तर – धातु के आवरण वाले विधुत साधित्रों को भूसंपर्कित करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि किसी कारणवश विद्युत परिपथ में कोई विद्युत का क्षरण हो जाता है जिससे विद्युत उपकरण उपयोग कर रहे है व्यक्ति किसी भी प्रकार का झटका न लगे।


23. बहुत-से विद्युत उपकरण तथा परिपथ भूसंपर्क में होते हैं, इसका क्या कारण है?

उत्तर – ऐसा विद्युत उपकरण और परिपथ उपयोग कर रहे व्यक्ति के सुरक्षा के लिए किया जाता है। यदि किसी कारणवश विद्युत उपकरण तथा परिपथ उपयोग कर रहे व्यक्ति को कोई विद्युत क्षरण के कारण विद्युत का गंभीर झटका न लगे।


24. घरों की वायरिंग में दो भिन्न एम्पीयर के नियम के परिपथों का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर – घरों में जो वायरिंग होती है उसमें दो मेन्स होते है एक 5 एम्पीयर वाला दूसरा 15 एम्पीयर वाला ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि हमारे घरों में विभिन्न प्रकार के विद्युत उपकरण उपयोग किए जाते हैं किसी 5 एम्पीयर धारा चाहिए जैसे बल्ब, पंखा, टेलीविजन आदि और किसी को 15 एम्पीयर की धारा चाहिए होता है जैसे हीटर, रेफ्रिजरेटर आदि तो जिसको जितना विद्युत धारा चाहिए होता है वह उसका उतना आवश्यकता अनुसार उपयोग करता है। 


25. घरों के विद्युत परिपथ में विद्युत उपकरण समांतरक्रम में क्यों जोड़े जाते हैं?

उत्तर – हमारे घरों में अलग अलग उपकरण लगे होते हैं सबको अलग अलग विद्युत धारा की मात्रा चाहिए होता है अगर हम उन्हे श्रेणीक्रम में जोड़ दे सब में एक ही धारा का परिमाण जाएगा जिससे कोई उपकरण चलेगा कोई नहीं चलेगा। और दूसरा कारण है सारे उपकरण के अपने अपने उपयोग होते हैं। पंखा का हवा देने के लिए, बल्ब का प्रकाश देने के लिए अगर हम एक को बंद करे तो दूसरा चालू रहे इसलिए उन्हें समांतरक्रम में जोड़ा जाता है।


26. विद्युत-परिपथों को अतिभारण और लघुपतन से कैसे सुरक्षित किया जा सकता है?

उत्तर – विद्युत-परिपथों को अतिभारण और लघुपतन से निम्नलिखित सावधानियां से सुरक्षित किया जा सकता है- 

(i) विद्युत-परिपथ में काम आने वाले सभी तारों के ऊपर अच्छे विद्युतरोधी पदार्थ की परत और उसके ऊपर भी रबर या प्लास्टिक की परत चढ़ाई जानी चाहिए।

(ii) एक शोकेट से एक ही उपकरण को जोड़ना चाहिए।

(iii) उपकरण को विद्युत परिपथ में समांतरक्रम में जोड़ना चाहिए।

(iv) विद्युत परिपथ में एक सही फ्यूज का इस्तेमाल करना चाहिए।


27. विद्युत मिस्त्री विद्युत-परिपथ पर कार्य करते समय रबर के जूते या दस्ताने क्यों पहनते हैं?

उत्तर – विद्युत मिस्त्री का विद्युत से संबंधित कार्य होते हैं, और विद्युत से संबंधित कार्य खतरा जनक होते हैं अगर सही सावधानियां नहीं बरती गई। विद्युत मिस्त्री विद्युत-परिपथ पर कार्य करते समय रबर के जूते या दस्ताने पहनते इसलिए हैं क्योंकि रबर के दस्ताने विद्युत के कुचालक होते हैं जब वे विद्युन्मय तार को छूते हैं तो उन्हें बिजली का झटका नहीं लगता अगर वे दस्ताने का उपयोग करके करते हैं। और रबर का जूता पहनने से मिस्त्री का पैरों का संपर्क पृथ्वी से नहीं रहता जिससे करंट को भू संपर्क नहीं मिल पाता।


28. विद्युत-परिमथों तथा साधित्रों में सामान्यत: उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।

उत्तर – भूसंपर्क तार और विद्युत फ्यूज


29. 2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत-परिपथ (220 V) में प्रचालीत किया जाता है जिसका विद्युत-धारा अनुमतांक 5 A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – विद्युत तंदूर द्वारा लिया गया धारा 9 A होगा लेकिन इसका अनुमतांक 5 A है अतः यहां अतिभारण की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिससे परिपथ नष्ट भी हो सकता है।


30. घरेलू विद्युत-परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? 

उत्तर – विद्युत-परिपथों को अतिभारण से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए- 

(i) एक शोकेट से एक से अधिक उपकरण को नहीं जोड़ना चाहिए।

(iii) उपकरण को विद्युत परिपथ में समांतरक्रम में जोड़ना चाहिए।

(iv) विद्युत परिपथ में एक सही फ्यूज का इस्तेमाल करना चाहिए।


31. फ्यूज तार विद्युत-परिपथ में क्यों लगाए जाते हैं? फ्यूज की क्षमता का क्या तात्पर्य है?

उत्तर –जब परिपथ में अतिभारण और लघुपतन के कारण या मेन्स में वोल्टता का मान एक सीमा से अधिक बढ़ जाने पर अधिक धारा प्रवाहित होती है जिससे घर में लगे विद्युत उपकरण जल या खराब हो सकते हैं इससे बचने के लिए फ्यूज तार का इस्तेमाल किया जाता है। ज्यादा धारा प्रवाहित होने से उत्पन्न ऊष्मा फ्यूज तार को गला देती है और उपकरण बच जाते हैं। 

विद्युत-धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुंचने से फ्यूज तार गल या उड़ जाता है उसे फ्यूज तार का क्षमता कहते हैं।


पाठ -5: विद्युत-धारा का चुंबकीय प्रभावदीर्घ उत्तरीय प्रश्न



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10th Physics Solutions (Notes) in Hindi


पाठ -1: प्रकाश का परावर्तन

पाठ -4: विद्युत-धारा

पाठ -6: ऊर्जा के स्रोत




10th Biology Solutions (Notes) in Hindi


Chapter 1 (जैव प्रक्रम :पोषण)




Chapter 5 (नियंत्रण और समन्वय)

Chapter 6 (जैव प्रक्रम : जनन)




















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