भौतिकी :पाठ -4
विद्युत-धारा
This Blog Post is dedicated to 10th Physics Notes in Hindi 10 वीं भौतिकी विज्ञान नोट्स हिंदी में 2021 विद्युत-धारा भौतिकी विज्ञान नोट्स हिंदी में विद्युत-धारा भौतिकी विज्ञान नोट्स हिंदी में सभी बोर्ड एग्जाम के लिए
10th Physics Solutions (Notes) in Hindi for Bihar Board, MP Board, UP Board, Rajasthan, Chhattisgarh, NCERT, CBSE and so on.: इस ब्लॉग में हाई स्कूल भौतिकी विज्ञान 10 वी सोलुशन नोट्स दिए हैं| ये सोलूशिन नोट्स परीक्षा के दृष्टी से बहुत बहुत ज्यादा महत्वूर्ण है आप इसे पढ़कर परीक्षा में अच्छा स्कोर कर सकते हैं
10th Physics Solutions (Notes) in Hindi
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. विभव और विभवांतर के SI मात्रक क्या है?
उतर – विभव का SI मात्रक वोल्ट (V) है और विभवांतर का भी SI मात्रक वोल्ट (V) है।
2. विद्युत-परिपथ किसे कहते हैं?
उतर – जिस पथ से होकर विद्युत धारा का प्रवाह होता है उसे विद्युत परिपथ कहते हैं।
3. विद्युत-धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।
उतर – किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ-काट को पार करनेवाली विद्युत धारा की प्रबलता उस अनुप्रस्थ-काट से होकर प्रति एकांक (ईकाई) समय में प्रवाहित आवेश का परिमाण है।
4. विद्युत-धारा के मात्रक की परिभाषा दें।
उतर – विद्युत-धारा का मात्रक एम्पीयर होता है।
किसी चालक के अनुप्रस्थ-काट से यदि एक सेकंड में एक कुलोम आवेश प्रवाहित होता है, तो उस काट से पार करनेवाली विद्युत-धारा की प्रबलता एक एम्पीयर कही जाएगी।
5. क्या विभव धनात्मक, ऋणात्मक एवम् शून्य हो सकता है?
उतर – हां।
6. ऐमीटर को किसी विद्युत-परिपथ में समांतरक्रम में जोड़ जाता है या श्रेणीक्रम में?
उतर – श्रेणीक्रम में
7. ऐमीटर और वोल्टमीटर में से किसका प्रतिरोध अधिक होता है?
उतर – वोल्टमीटर का
8. मात्रक एम्पीयर, वोल्ट एवम् ओम में कोई एक अन्य दोनों का गुणज है। इनमे वह एक कौन है?
उतर – वोल्ट एम्पीयर एवम् ओम का गुणज है।
9. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उतर – सेल ।
10. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 V है?
उतर – यदि 1 कुलॉम (C) धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जुल (J) कार्य करना पड़े तो इन दोनों बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट (V) कहलाता है।
11. किसी विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
उतर – समांतरक्रम (पार्श्वक्रम) में।
12. विद्युत-धारा, प्रतिरोध एवम् विभवांतर के बीच संबंध क्या है?
उतर – विभवांतर (V) = विद्युत-धारा (I) * प्रतिरोध (R)
13. प्रतिरोध का मात्रक क्या है?
उतर – प्रतिरोध का मात्रक 'ओम' है।
14. श्रेणीक्रम में जुड़े प्रतिरोधकों का समतुल्य प्रतिरोध प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से कम होता है या अधिक?
उतर – अधिक होता है।
15. 6 V की बैटरी से गुजरनेवाले 1 C आवेश को कितना ऊर्जा दी जाती है?
उतर – 6 J
16. 220 V पर चालित एक लैंप 20 A की धारा लेता है। लैंप का प्रतिरोध कितना है?
उतर – 11 ओम
17. प्रतिरोधकता का SI मात्रक क्या है?
उतर – ओम मीटर।
18. किसी चालक में धारा के प्रवाह से ऊष्मा में आंतरिक ऊर्जा का व्यंजक लिखें।
उतर – U =I2Rt
19. विधुत-शक्ति किसे कहते हैं?
उतर – किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय की दर को उस परिपथ की विधुत-शक्ति कहते हैं।
20. यदि किसी बल्ब पर 220 V, 60 W लिखा हो, तो इसका क्या अर्थ होता है?
उतर – यदि किसी बल्ब पर 220 V, 60 W लिखा हो, तो इसका अर्थ होता है कि यदि किसी मकान के विद्युत परिपथ में इसे लगा दिया जाय तो यह 220 वोल्ट के विभवांतर पर 60 W शक्ति का उपयोग करेगा, अर्थात प्रति सेकंड इस बल्ब के कारण 60 जुल विद्युत ऊर्जा का व्यय होगा।
21. किलोवाट घंटा (kWh) क्या है?
उतर – किलोवाट घंटा (kWh) किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा को मापने की एक बड़ी इकाई है। इसका मतलब होता है कि कोई उपकरण जो 1 किलोवाट (kW) का है को 1 घंटे (h) तक किसी विद्युत परिपथ में चलाया जाय तो हम कहेंगे कि परिपथ में 1 किलोवाट घंटा (kWh) विद्युत ऊर्जा का उपभोग हो रहा है।
22. तीन विद्युत उपस्करों के नाम लिखें जिनमें विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव का उपयोग होता है।
उतर – विद्युत हीटर, विद्युत आयरन और विधुत केतली।
23. मात्रक एम्पीयर, वोल्ट एवम् वाट में कोई एक अन्य दोनों का गुणज है। इनमें वह कौन है?
उतर – वाट है
24. बिजली के बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन का क्यों बना होता है?
उतर – बिजली के बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन का इसीलिए बना होता है कि इसका गलनांक अत्यधिक उच्च (लगभग 3400 डिग्री सेल्सियस) होता है। अतः यह बिना गले 2700 डिग्री सेल्सियस का श्वेत-तप्त ताप प्राप्त कर सकता है। और इसकी प्रतिरोधकता भी बहुत कम होती है।
25. विद्युत-शक्ति का मात्रक क्या है?
उतर – विद्युत-शक्ति का मात्रक वाट है।
26. विधुत-धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उतर – विधुत-धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण किलोवाट घंटा मात्रक द्वारा किया जाता है।
27. विद्युत फ्यूज में प्रयुक्त तार की क्या विशेषताएं होनी चाहिए?
उतर – उच्च प्रतिरोधकता एवम् कम गलनांक होनी चाहिए।
10th Physics Solutions (Notes) in Hindi
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किसी बिंदु पर विद्युत विभव से आप क्या समझते हैं?
उतर – किसी बिंदु पर विद्युत विभव कार्य का वह परिमाण है जो प्रति एकांक (ईकाई) आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया जाता है।
2. विद्युत-धारा, विभवांतर एवम् प्रतिरोध की परिभाषा दे। इनके SI मात्रक भी लिखें।
उतर – विद्युत-धारा - किसी चालक पदार्थ में, किसी दिशा में दो बिंदुओं के बीच आवेश के व्यवस्थित प्रवाह को विद्युत-धारा कहते हैं। इसका SI मात्रक एम्पीयर है।
विभवांतर - दो विभव के बीच के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका SI मात्रक वोल्ट है।
प्रतिरोध - किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर धारा प्रवाह का विरोध करता है, उस पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध या केवल प्रतिरोध कहलाता है। इसका SI मात्रक ओम है।
3. किसी तार का प्रतिरोध 1 ओम है । इस कथन का क्या अर्थ है?
उतर – इसका अर्थ है कि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट का विभवांतर लगाने से चालक में 1 एम्पीयर की धारा प्रवाहित होती है तो उस चालक का प्रतिरोध 1 ओम के बराबर होता है।
4. किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है?
उतर – किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर सेल या बैटरी द्वारा बनाए रखा जा सकता है।
5. ओम के नियम को लिखकर इसकी व्याख्या करें।
उतर –ओम का नियम - यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाती होती है।
I = V/R
जहां V दो सिरों के बीच का विभवांतर है, R चालक का प्रतिरोध है और I चालक में प्रवाहित विद्युत धारा का मात्रा है।
इस व्यंजक का यही मतलब है कि चालक तार में जितना धारा प्रवाहित किया जाएगा चालक के सिरों के बीच विभवांतर भी बढ़ेगा।
6. किसी परिपथ में कई प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जुड़ा कब कहते हैं?
उतर – निम्नलिखित परिस्थिति में प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जुड़ा कहते हैं -
(i) सभी प्रतिरोधों में एक ही धारा प्रवाहित होती है, परंतु उनके सिरों के बीच विभवांतर उनके प्रतिरोधों के अनुसार अलग अलग होता है।
(ii) समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से अधिक होता है।
(iii) किसी एक प्रतिरोधक को परिपथ से हटा दिया जाने पर बचे हुए प्रतिरोधकों से प्रवाहित होनेवाली धारा शून्य हो जाएगी।
7. किसी परिपथ में कई प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में जुड़ा कब कहते हैं?
उतर – निम्नलिखित परिस्थिति में प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम(समांतरक्रम) में जुड़ा कहते हैं -
(i) सभी प्रतिरोधों के सिरों के बीच एक ही विभवांतर होता है, परंतु उनके प्रतिरोधों के मान के अनुसार उनमें अलग-अलग मान की धारा प्रवाहित होती है।
(ii) समतुल्य प्रतिरोध का मान प्रत्येक प्रतिरोधक के प्रतिरोध के मान से कम होता है।
(iii) किसी एक प्रतिरोधक को परिपथ से हटा दिया जाने पर बचे हुए अन्य प्रतिरोधकों से धारा प्रवाहित होती रहेगी।
(iv) पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में जुड़े हुए प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोध का व्युतक्रम उन प्रतिरोधकों के अलग-अलग प्रतिरोधों के व्युतक्रमों के योग के बराबर होता है।
8. प्रतिरोध की उत्पत्ति का कारण क्या है?
उतर – किसी विधुत परिपथ में विधुत धारा का विरोध करने के लिए प्रतिरोध की उत्पत्ति होती हैं। प्रतिरोध तार की लंबाई, मोटाई, तार की ताप से भी प्रभावित होती है।
9. चालक और विधुतरोधी पदार्थों में क्या अंतर है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें।
उतर – बहुत कम प्रतिरोध वाले पदार्थ जिनमें से आवेश आसानी से प्रवाहित होता है, चालक कहे जाते हैं। जैसे - चांदी, तांबा इत्यादि। जबकि बहुत ही अधिक प्रतिरोध वाले पदार्थों को जिनसे आवेश प्रवाहित नहीं हो पाता, विद्युतरोधी कहे जाते हैं। जैसे- रबर, प्लास्टिक इत्यादि।
10. समान पदार्थ और समान लंबाई के तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो, तो इनमें से किसमें विद्युत धारा अधिक आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? इसका कारण भी बताएं।
उतर – मोटे वाले तार में विद्युत-धारा अधिक आसानी से प्रवाहित होगी, क्योंकि चालक का प्रतिरोध उसके मोटाई पर भी निर्भर करता है, जितना अधिक तार मोटा होगा उतना उसका प्रतिरोध कम होगा, और जितना ही किसी चालक का प्रतिरोध कम होगा उसमें उतना ही आसानी विद्युत-धारा प्रवाहित होगी।
11. यदि किसी विद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है, तो उस अवयव से प्रवाहित होनेवाली विद्युत-धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उतर – यदि प्रतिरोध नियत है, तो ओम के नियम से अवयव में प्रवाहित विद्युत-धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाति होती है। अतः विभवांतर को आधा करने पर विद्युत-धारा भी आधी हो जाएगी।
12. जब (a) 1 ओम तथा 10^6 ओम (b) 1 ओम,10^3 ओम तथा 10^6 ओम के प्रतिरोध पार्श्वक्रम (समांतरक्रम) में संयोजित किए जाते हैं, तो उनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे?
उतर – (a) तुल्य प्रतिरोध 1 ओम से कम होगा (b)तुल्य प्रतिरोध 1 ओम से कम होगा।
13. 2V के चार सेलों से बनी एक बैटरी, 5 ओम, 8 ओम और 10 ओम के प्रतिरोधको और एक दाब कुंजी से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। इसका परिपथ आरेख खींचें।
उतर – इसका चित्र छात्र स्वयं बनावें।
14. श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैधुत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उतर – श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैधुत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के लाभ यही है कि अगर किसी कारण वश कोई परिपथ का तार टूट जाता है तो भी वह परिपथ में धारा प्रवाहित होती रहेगी यानी वह विद्युत युक्ति काम करती रहेगी।
15. किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर उसमें ऊष्मा क्यों उत्पन्न होती है?
उतर – जब किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसमें इलेक्ट्रॉन का चलन होने लगता है जब इलेक्ट्रॉन चलते हैं तो कहीं न कहीं आपस में धनायनों आवेश से टकराते रहते हैं। और उन्हीं टकराने के कारण परिपथ में ऊष्मा उत्पन्न होती है।
16. विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव किन किन कारकों पर निर्भर करते हैं?
उतर – विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव निम्न कारकों पर निर्भर करते हैं-
(i) परिपथ में प्रवाहित विद्युत-धारा (I) पर
(ii) चालक पदार्थ के प्रतिरोध (R) पर
(iii) प्रवाहित होने वाली धारा के समय (t) पर
(iv) प्रतिरोध में दिय गए विभवांतर (V) पर
17. किसी चालक से प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा संबधी जुल के नियम क्या है?
उतर – ब्रिटिश वैज्ञानिक जुल ने चालकों में विधुत धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा के संबंध में तीन नियम दिए हैं जिसे जुल के उष्मीय नियम कहते हैं जो निम्नलिखित है -
(i) किसी निश्चित समय t में किसी निश्चित प्रतिरोध R वाले चालक में उत्पन्न हुई ऊष्मा का परिमाण U उसमें प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा I के वर्ग के समानुपाती होता है।
(ii) किसी निश्चित प्रबलता की विधुत धारा I द्वारा निश्चित समय t में उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण, चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है।
(iii) किसी दिए गए चालक में एक ही प्रबलता की धारा भिन्न भिन्न समय तक प्रवाहित करने पर उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण, धारा प्रवाह के समय t के समानुपाती होता है।
18. विद्युत ताप-युक्तियों के मूल सिद्धांत क्या है?
उतर – विद्युत ताप-युक्तियों के मूल सिद्धांत यही होते हैं कि इससे होकर जानेवाली विधुत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में रूपांतरित कर उसके ऊष्मा ऊर्जा का घरेलू उपकरण में उपयोग किया जाए। इसमें एक तापन अवयव होता जो विद्युत ऊर्जा को उष्मीय ऊर्जा में बदलता है। तापन अवयव की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है जिससे कम धारा पर अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सके और इसका गलनांक भी अत्यधिक उच्च होता है जिससे वह उच्च ताप पर भी गलता नहीं।
19. विद्युत तापन-युक्तियों, जैसे ब्रेड-टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं?
उतर – विद्युत तापन-युक्तियों, जैसे ब्रेड-टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनकर किसी मिश्रधातु के बनाए जाते हैं ऐसा इसीलिए क्योंकि मिश्रधातु का तापन अवयव की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है जिससे कम धारा पर अधिक ऊष्मा उत्पन्न होता है और इसका गलनांक भी अत्यधिक उच्च होता है जिससे वह उच्च ताप पर भी गलता नहीं है।
20. किसी विद्युत हीटर के परिपथ में जुड़ा चालक तार क्यों उत्तप्त नहीं होता, जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उतर – परिपथ में जुड़ा तार कम प्रतिरोधकता वाला होता है जैसे तांबा का तार प्राय: होता है जिससे उत्तप्त नहीं होता जबकि तापन अवयव बहुत अधिक प्रतिरोधकता का होता है, जैसे नाइक्रोम का तार जिससे उत्तप्त हो जाता है।
21. विद्युत-परिपथ में फ्यूज तार क्यों लगाए जाते हैं?
उतर –जब परिपथ में अचानक धारा की प्रबलता आवश्यकता से अधिक बढ़ जाता है तब हमारे घरों में लगे विद्युत उपकरणों जैसे बल्ब, पंखे, फ्रिज, टेलीविजन, मोटर आदि जले नहीं इसके लिए फ्यूज तार विद्युत परिपथ में लगाए जाते हैं जिससे अधिक धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज तार गाल जाता है और हमारे घर के उपकरण सुरक्षित बच जाते हैं।
22. फ्यूज की क्षमता से आप क्या समझते हैं?
उतर – विद्युत-धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुंचते ही फ्यूज गल जाता है उड़ जाता है उसे फ्यूज या फ्यूज तार की क्षमता कहते हैं। उदाहरण के लिए 5 A के फ्यूज का अर्थ यह है कि धारा की प्रबलता 5 A से बढ़ते ही फ्युज तार गल जाएगा।
23. यदि एक एमीटर को समांतरक्रम में जोड़ा जाय, तो उसकी कुंडली के जल जाने का खतरा होता है। क्यों?
उतर – यदि किसी अन्य युक्ति के साथ एमीटर को समांतरक्रम में जोड़ा जाय तो कम प्रतिरोध वाले युक्ति में अधिक विधुत धारा प्रवाहित होगी जो की एमीटर की बहुत ही कम प्रतिरोधकता होती है जिससे अधिकतर धारा एमीटर से होकर प्रवाहित होगी जिससे एमीटर की कुंडली अत्यधिक ऊष्मा पाकर जल जाने का खतरा बढ़ जाएगी।
0th Physics Solutions (Notes) in Hindi
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ओम का नियम क्या है? इसे कैसे सत्यापित किया जाता है?
उतर – 1826 में जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम ने किसी चालक के सिरों पर लगाए विभवांतर तथा उसमें प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा का संबंध एक नियम के द्वारा व्यक्त किया, जिसे ओम का नियम कहते हैं।
ओम का नियम - यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो, तो उसमें प्रवाहित विद्युत धारा उसके सिरों के बीच आरोपित विभवांतर के समानुपाती होती है।
I समानुपाती V
I = V/R
ओम के नियम का सत्यापन - एक शुष्क सेल, एक एमीटर A, एक वोल्टमीटर V, एक स्विच S तथा एक नाइक्रॉम के तार के टुकड़े PQ को दिय गए चित्र (भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 69 में चित्र 4.11 को देखें) के अनुसार संयोजित करेंगे।
अब स्विच S को बंद करेंगे उसके बाद परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और विभवांतर को वोल्टमीटर V से माप कर नोट कर लेंगे। अब एक स्थान पर दो शुष्क सेल लगाकर पुनः परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और अब एक स्थान पर दो शुष्क सेल लगाकर पुनः परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और विभवांतर को वोल्टमीटर V से माप कर नोट कर लेंगे। अब दो स्थान पर तीन शुष्क सेल लगाकर पुनः परिपथ में प्रवाहित धारा I एमीटर A से और विभवांतर को वोल्टमीटर V से माप कर नोट कर लेंगे। इसी तरह चार, पांच सेल लगाकर नोट कर लेंगे। प्रत्येक बार हम देखेंगे कि अनुपात V/I का मान लगभग समान आता है। इसी प्रकार हम अगर विभवांतर V को x-अक्ष और विधुत-धारा I को y-अक्ष मान कर एक ग्राफ खींचे तो हमें एक सरल रेखा प्राप्त होगी जिससे ये सिद्ध होता है कि विधुत-धारा I विभवांतर V के समानुपाती है। जो कि ओम के नियम की पुष्टि करता है।
2. किसी चालक तार का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है? व्याख्या करें।
उतर – किसी चालक तार का प्रतिरोध निम्न बातों पर निर्भर करता है-
(i) तार की लंबाई पर - किसी तार का प्रतिरोध उसके लंबाई के समानुपति होता है। यानी तार की लंबाई जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
(ii) तार की मोटाई पर - किसी तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल के व्युतक्रमानुपाती होता है। यानी तार जितना मोटा होगा उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा और तार जितना पतला होगा उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
(iii) चालक के पदार्थ पर - अलग अलग पदार्थ के प्रकार के अनुसार उसका प्रतिरोध भी अलग अलग होता है।
(iv) चालक के ताप पर - ताप बढ़ने से चालक का प्रतिरोध भी बढ़ता है।
3. श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों एवम् समांतरक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों के समतुल्य प्रतिरोधों के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उतर – श्रेणीक्रम संयोजन - माना की AB, BC और CD तीन प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े हैं जो क्रमश: R1, R2 और R3 के नाम से एक बैटरी से जुड़े हैं (इस चित्र को भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 72 में चित्र 4.15 को देखकर खींच ले)। अब तीनों प्रतिरोध में धारा I प्रवाहित किया जाता है तथा इन प्रतिरोध के बीच विभवांतर क्रमश V1, V2 और V3 है।
अतः ओम के नियम से
V1 = IR1, V2 = IR2 तथा V3 = IR3
यदि एक समतुल्य बैटरी का विभवांतर V जो की V1, V2 और V3 को जोड़कर बनता है
तो V = V1 + V2 + V3 = IR1 + IR2 + IR3
V = I(R1 + R2 + R3 )
अब माना की R1, R2 और R3 को मिलाकर एक समतुल्य प्रतिरोध R
तो ओम के नियम से, V = IR
IR = I(R1 + R2 + R3 )
R = R1 + R2 + R3
समांतरक्रम संयोजन - माना की AB, BC और CD तीन प्रतिरोधक समांतरक्रम में जुड़े हैं जो क्रमश: R1, R2 और R3 के नाम से एक बैटरी से जुड़े हैं (इस चित्र को भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 72 में चित्र 4.16 को देखकर खींच ले)। अब तीनों प्रतिरोध में धारा क्रमश I1 I2 और I3 प्रवाहित किया जाता है तथा इन प्रतिरोध के बीच विभवांतर V है।
तीनों धाराओं को मिलाकर
I = I1 + I2 + I3
अतः ओम के नियम से
I1 = V/R1, I2 = V/R2 तथा I3 = V/R3
तो I = I1 + I2 + I3 = V(1/R1 + 1/R2 + 1/R3)
अब माना की R1, R2 और R3 को मिलाकर एक समतुल्य प्रतिरोध R
तो ओम के नियम से, I = V/R
V/R = V(1/R1 + 1/R2 + 1/R3)
1/R = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3
4. विद्युत धारा प्रवाह के कारण किसी प्रतिरोधक में उत्पन्न ऊष्मा का व्यंजक प्राप्त करें।
उतर – माना की किसी चालक PQ, जिसका प्रतिरोध R है, के सिरों के बीच विभवांतर V स्थापित किया गया है (इस चित्र को भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 74 में चित्र 4.18 को देखकर खींच ले)।
यदि चालक PQ में विधुत धारा I समय t तक प्रवाहित होती है तो चालक के सिरे तक प्रवाहित होनेवाली आवेश का परिमाण
Q = It
अब चालक के एक सिरे दूसरे सिरे तक Q आवेश को विभवांतर V के अधीन ले जाने में किया गया कार्य
W = QV
अब, W = QV = ItV = VIt
अब ओम के नियम से V = IR
तो W = VIt = (IR)It = I2Rt
विद्युत धारा प्रवाह के कारण किसी प्रतिरोधक R में उत्पन्न ऊष्मा का व्यंजक
W = I2Rt है।
5. विद्युत बल्ब का सचित्र वर्णन करें।
उतर – विद्युत बल्ब एक प्रकाश देने वाला विद्युत युक्ति है जिसमे एक पतले तार की ऐंठी हुई टंगस्टन की कुंडली होती है जिसे फिलामेंट कहते हैं। टंगस्टन का फिलामेंट इसलिए बनााया जाता है क्योंकि इसका गलनांक अत्यधिक उच्च (3400°C) होता है। यह फिलामेंट मोटे अधारी तारों द्वारा धातु के दो स्पर्शक बटनों या स्टैंडों द्वारा जुड़ा हुआ होता है। फिलामेंट एक कांच के बल्ब में बंद रहता है। बल्ब के अंदर निम्न दाब पर हीलियम और आर्गन जैसे आर्गन गैसों का मिश्रण प्राय भरी जाती है।
इस चित्र को भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 76 में चित्र 4.19 को देखकर बना लें।
6. विद्युत फ्यूज का सचित्र वर्णन करें।
उतर – बिजली के उपकरणों को विधुत धारा की अधिक प्रबलता से बचाने के लिए जिससे बिजली कोई भी उपकरण नहीं जले या खराब हो विधुत परिपथ में कांच की नली या चीनी मिट्टी या एक तरह के प्लास्टिक से ढके एक विद्युत उपकरण होता है जिसे फ्यूज कहते हैं। फ्यूज जस्ता या सीसा और टीन का मिश्रधातु का तार होता है जिसकी प्रतिरोधकता अधिक और गलनाँक कम होता है। अतः जब भी परिपथ में अचानक विद्युत धारा की प्रबलता का प्रवाह अवश्यकता से अधिक बढ़ जाता है तो ये फ्यूज जल या उड़ या गल जाता है जिससे घर में लगे विद्युत उपकरण जलने से या खराब होने से बच जाते हैं।
इस चित्र को भारती भवन की पुस्तक में पृष्ठ संख्या 77 में चित्र 4.20 को देखकर बना लें।
पाठ -5: विद्युत-धारा का चुंबकीय प्रभाव
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