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Bharati Bhawan Solutions for Class 10th Biology (Science) in Hindi Medium Chapter 6 (10 वीं जीवविज्ञान नोट्स हिंदी में 2021)


जैव प्रक्रम : पाठ – 6

जैव प्रक्रम : जनन

NCERT Solutions for Class 10th Biology (Science) in Hindi Medium Chapter 6 image

This Blog Post is dedicated to 10th Biology Notes in Hindi 10 वीं जीवविज्ञान नोट्स हिंदी में 2021 जैव प्रक्रम जिव विज्ञान नोट्स हिंदी में जैव प्रक्रम जिव विज्ञान नोट्स हिंदी में सभी बोर्ड एग्जाम के लिए 


10th Biology Solutions (Notes) in Hindi for Bihar Board, MP Board, UP Board, Rajasthan, Chhattisgarh, NCERT, CBSE and so on.: इस  ब्लॉग में हाई स्कूल जीव विज्ञान 10 वी सोलुशन नोट्स दिए हैं| ये सोलूशिन नोट्स परीक्षा के दृष्टी से बहुत बहुत ज्यादा महत्वूर्ण है आप इसे पढ़कर परीक्षा में अच्छा स्कोर कर सकते हैं  




10th Biology Solutions (Notes) in Hindi


 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. पौधों में शारिरिक कार्यों का नियंत्रण किस विधि से होता है?

उत्तर – रासायनिक विधि द्वारा


2. जनन किसे कहते हैं?

उत्तर – जीव जिस प्रक्रम द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं, उसे जनन कहते हैं।


3. जनन कितने प्रकार के होते हैं

उत्तर – दो प्रकार के (i) अलैंगिक (Asexual) (ii) लैंगिक (sexual).


4. अलैंगिक जनन की दो प्रमुख विधियों के नाम लिखें।

उतर –  मुकुलन तथा अपखंडन


5. दो पादपों के नाम लिखें जिनमें कायिक प्रवर्धन होता है।

उतर – अंगूर तथा गुलाब, आलू, अदरक।


6. किसी एक पत्तियों के नाम लिखें जिनमें पत्तियों द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है?

उतर –  मनीप्लांट तथा ब्रायोफिल।


7. कायिक प्रवर्धन में वांछित गुणों का परीक्षण क्यों होता है?

उतर – क्योंकि इसमें अनुवांसिक पदार्थ वंश वृद्धि कराते हैं तथा जड़, तना से अलग हो जाते हैं।


8. DNA प्रतिकृति का जनन में क्या महत्व है?

उतर – कोशिका विभाजन के पश्चात बने दो कोशिकाओं को DNA मिल सके इसीलिए इसकी प्रतिकृति जरूरी है।


9. जीवों में होनेवाली विभिन्नता का क्या लाभ है?

उतर – इससे यही लाभ है कि किसी जाती का अस्तित्व बना रहता है और विभिन्न वायुमंडलिय परिस्थितियों में जीवों की उत्तरजीविता बनी रहती है। पहचानने में आसानी होती है।


10. पुंकेसर के भागों के नाम लिखें।

उतर – तंतु और परागकोष


11. अंडाशय के अंदर क्या पाए जाते हैं?

उतर – मनुष्य में अंडाणु, पौधों में बिजांड


12. कीटों की भूमिका किस प्रकार से परागण में होती है?

उतर –  कीट किसी एक पुष्पीय पौधे के परागकोष से परागकणों को किसी अन्य पुष्पीय पौधे के वर्तिकाग्र तक पहुंचाने का कार्य करते हैं परागकणों में।


13. अगर नर या मादा अंगो में किसी एक का अभाव हो तो ऐसे जीव क्या कहलाते हैं?

उतर – एकलिंगी।


14. दो ऐसे जंतुओं के नाम लिखें जिनमें अलैंगिक जनन होता है।

उतर – पैरामीशियम, स्पैरोगायरा ।


15. पुरुषों में वृषण त्वचा की बनी जिस थैली जैसी रचना में स्थित होते हैं, वह क्या कहलाता है?

उतर – वृषणकोष ।


16. अंडाणुओं का अंडाशय से बाहर निकलने की क्रिया क्या कहलाती है?

उतर – अंडोत्सर्ग।


17. मनुष्य अंडाणुओं का शुक्राणुओं द्वारा निषेचन स्त्री के किस जननांग में होता है?

उतर – फैलोपियन ट्यूब में।


18. स्त्रियों में यौवनारंभ या व्युबर्टी समन्यत किस आयु में होता है?

उतर – 12 से 14 वर्ष की आयु में।


19. स्त्रियों में लैंगिक चक्र कितने दिनों में पूर्ण होता है?

उतर – 28 या 30 दिनों में।


20. कॉर्पस ट्यूटियम से स्रावित होनेवाला हार्मोन क्या कहलाता है?

उतर – प्रोजेस्ट्रॉन।

21. किन्हीं दो यांत्रिक विधियों के नाम लिखें जो जनसंख्या नियंत्रण में सहायक हो।

उतर – कंडोम और कॉपर टी।


22. बैक्टीरिया द्वारा होनेवाले दो लैंगिक जनन संचारित रोगों के नाम लिखें।

उतर – गोनोरिया तथा सिफलिश।


23. जीवों में अनुवांशिक गुणों का वाहक क्या है?

उतर – जिन (gene)।


24. किस प्रकार के जनन में शुक्राणु एवम अंडाणु का निर्माण नहीं होता है?

उतर – अलैंगिक जनन में।


25. प्लेनेरिया में जनन मुख्यत किस विधि से होता है?

उतर – पुनर्जनन या अपखंडन द्वारा।


26. पुटी या सिस्ट का निर्माण किस प्रकार के विभाजन में होता है?

उतर – बहुखंडन।


27. कावकों में अलैंकिक जनन की मुख्य विधि क्या है?

उतर –  बिजाणुजनन।


28. उत्तक संवर्धन किस प्रकार के जनन के उदाहरण हैं?

उतर – कृत्रिम कायिक जनन।


29. पुरुष का सबसे प्रमुख जनन अंग क्या है?

उतर – वृषण।


30. मूत्राशय के आधार पर स्थित एक छोटी लगभग गोलाकार ग्रंथि को क्या कहते हैं?

उतर – पुरस्थ ग्रंथि।


31. प्रत्येक स्त्री में कितना अंडाशय पाया जाता है?

उतर –  एक जोड़ा।


32. अंडाणु किस नलिका द्वारा गर्भाशय में पहुंचते हैं?

उतर – फैलोपियन ट्यूब द्वारा।


33. गर्भाशय के निचले संकरे भाग को क्या कहते हैं?

उतर –  ग्रीवा या सर्विक्स या वोलवा (volva)


34. कॉर्पस ल्यूटियम किस प्रकार की ग्रंथि है?

उतर – अंतःस्राव ग्रंथि में जनन ग्रंथि।


35. प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन कहां से स्रावित होता है?

उतर – पीत पिंड या कॉर्पस ल्युटियम से।


36. स्त्रियों के मूत्रजनन नलिकाओं में एक प्रकार के प्रोटोजोवा से होनेवाली संक्रमण को क्या कहते हैं?

उतर – ट्राइकोमोनिस।



10th Biology Solutions (Notes) in Hindi


लघु उत्तरीय प्रश्न

1. अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषता क्या है?

उतर – अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषता: (i) इसमें जीवों का सिर्फ एक व्यष्टि भाग लेते हैं (ii) इसमें युग्मक अर्थात शुक्राणु और अंडाणु भाग नहीं लेते। (iii) इस प्रकार के जनन में या तो समसुत्री कोशिका विभाजन या असनसुत्री कोशिका विभाजन होते हैं। (iv) इस प्रकार के जनन में ज्यादा संख्या में एवम् जल्दी से अपनी संतानों की उत्पत्ति कर सकते हैं। (v) इसमें मादा जीव गर्भ धारण नहीं करती और ना ही दूसरे जीवों पर निर्भर रहना पड़ता है।


2.  द्विखंडन एवम् बहुखंडन में क्या विभेद है?

उतर – द्विखंडन में एक कोशिकीय जीव अपने केंद्रक से अपने आप को दो भागों में बांट कर अलग करता है, उसे द्विखंडन कहते हैं। इसमें पुटी या सिस्ट नहीं बनता और इसमें दो ही जीव उत्पन्न होते हैं।

जबकि बहुखंडन में एक कोशिकीय जीव के ऊपर एक आवरण बन जाता है जिसे पुटी कहते हैं यह फटने के बाद जीव अनेकों खंडों में विभक्त होकर अनेकों जीव उत्पन्न क्रकरता है।


3.  कायिक प्रवर्धन को परिभाषित करें।

उतर – अलैंगिक जनन की वह विधि जिसमे पादप शरीर के विशेष अंग जैसे जड़, तना एवम् पत्ती इत्यादि से कालिकाएं निकलकर अपने जैसे संख्या को बढ़ातहै उसे कायिक प्रवर्धन जनन कहा जाता है। जैसे आलू का जनन, अदरक का जनन।


4.  पुनर्जनन में क्या होता है?

उतर –  पुनर्जनन में कोई जीव का शरीर किसी कारण वश कट जाता है और दुबारा उसी के स्थान पर नया अंग निकल जाता है। जैसे प्लेनेरिया तथा हाइड्रा का जनन।


5.  बिजाणुजनन से जीवों को क्या लाभ है?

उतर – बिजाणुजनन में न तो नर एवम् मादा की जरूरत पड़ती है और ना ही निषेचन होता है। जब इनके ऊपर बनी बिजाणुधानी का आवरण फटता है तो हजारों संख्या में जीव उत्पन्न होते हैं। इसमें एकबार में अनेक जीव उत्पन्न होते हैं। जैसे कवक, शैवाल।


6.  क्या जटिल संरचनावाले जीव पुनर्जनन द्वारा नई संतति उत्पन्न कर सकते हैं?

उतर – नहीं जटिल संरचना वाले जीव में पुनर्जनन द्वारा संतति उत्पन्न संभव नहीं है, क्योंकि पुनर्जनन सर्फ सरल अधिकांशत एककोशिकीय जीवों में ही संभव होती है। पुनर्जनन के लिए कोशिका विभाजन का हर समय होना आवश्यक है।


7. लैंगिक जनन की क्या विशेषता है?

उतर – लैंगिक जनन में नर एवम् मादा भाग लेते हैं। निषेचन होता है और मादा गर्भधारण करती है। संख्या में बहुत कम बच्चों को जन्म देती है जो काफी मजबूत एवम् दीर्घायु होते है। उन्हें जीने का अवसर अधिक प्राप्त होता है।


8.  एक प्रारूपी के सहायक अंग एवम् आवश्यक अंग में क्या भिन्नता है?

उतर – पुष्प में दो तरह के अंग होते हैं, एक सहायक अंग जो स्त्रीकेशर एवम पुंगकेशर को सहायता प्रदान करता है तथा दूसरा आवश्यक अंग जो खुद जनन क्रिया भाग लेते है। दल पत्र तथा बाहरी दल पत्र यह सब सहायक अंग हैं। जबकि अंडाशय परागकण वर्तिका तथा वर्तिकाग्र यह सब अवशायक अंग हैं।


9.  स्व-परागण एवम्  पर-परागण क्या अंतर है?

उतर – किसी पुष्पीय पौधे के परागकोष से परागकण निकलकर अपने ही प्रजाति के दूसरेपुष्पों के वर्तिकाग्र पर पहुंचता है तब यह क्रिया पर-परागण कहलाता है।

        जबकि किसी पुष्पीय पौधे के परागकोष से परागकण निकलकर अपने ही वर्तिकाग्र पर पहुंचता है तब उसे  स्व-परागण कहा जाता है।


10.  अलैगिक जनन की तुलना में लैंगिक जनन से क्या लाभ होता है?

उतर – लैंगिक जनन से जो जीव उत्पन्न होते हैं वह संख्या में कम परंतु दीर्घायु होते हैं। माता-पिता के सहयोग से जन्म लेते हैं इसीलिए वातावरण से लड़ने की क्षमता उनमें अधिक होती है। 

   जबकि अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतान संख्या में अधिक परंतु कमजोर और अल्पायु होते हैं। उन्हें जीवन जीना का अवसर कम प्राप्त होता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं अलैंगिक जनन की तुलना में लैंगिक जनन लाभप्रद है।


11.  बिजपत्र का क्या काम है?

उतर – बिजपत्र का काम है भोजन का संग्रह करना तथा दबे हुए मिट्टी में बीज को भोजन प्रदान करना। जब बीज क्लोरोफिलविहीन होता है, भोजन बनाने में सक्षम नहीं होता है तब पौधों में उस समय पौधों में यही बीज भोजन प्रदान कराकर बीज को जीवित रखता है।


12.  पुरस्थ ग्रंथि के कार्यों का उल्लेख करें।

उतर –  पुरस्थ ग्रंथि अपने अंदर से पुरस्थ द्रव स्रावित करती है जो वीर्य में मिलकर उसे गंधयुक्त बना देता है जिससे शुक्राणु काफी सक्रिय और क्रियाशील हो जाता है।


13.  फैलोपियन नलिका की संरचना का वर्णन करें।

उतर – फैलोपियन नलिका महिलाओं का वह महत्वपूर्ण अंग है तो जो सबसे लम्बा होता है। इसका एक शीरा अंडाशय से तथा दूसरा शिरा गर्भाशय से जुड़ा होता है। अंडाशय से निकला हुआ अंडाणु इसी फैलोपियन नलिका में आकर ठहरता है। और निषेचन भी यहीं होता है।


14.  निषेचन न हो सकने वाले एक परिपक्व अंडाणु का क्या होता है?

उतर – अंडाशय से निकला भुहुआ परिपक्व अंडाणु फैलोपियन नलिका में आकर 24 घंटे तक ठहरता है। यदि इस समय के अंदर निषेचन नहीं हुआ तो वह स्वत ही नष्ट होकर गर्भाशय द्वारा बाहर निकल जाता है।


15.  जनसंख्या नियंत्रण में रासायनिक विधियों का उपयोग किस प्रकार सहायक है?

उतर – जनसंख्या नियंत्रण की रासायनिक विधि वह तकनीक है जिसमें गर्भधारण न करने वाली महिलाएं इसे दैनिक या साप्ताहिक के रूप में इस्तेमाल करती है जो महिला चाहती है कि संतान उत्पन्न न हो वह वैज्ञानिक द्वारा संशोधित गर्भ निरोधक औषधियों का उपयोग करती हैं जिसमें MALA-D, APSARA तथा SHAHELI  इत्यादि औषधियों का उपयोग करती हैं। इस प्रकार रासायनिक विधि काफी कारगर साबित होता है।


16. लैंगिक संचारित रोगों को तालिका के माध्यम से दर्शाएं।

उतर – लैंगिक संचारित रोग जीवाणु, विषाणु तथा प्रोटोजोवा से होते हैं जो निम्न हैं:

(i) जीवाणु द्वारा__ Gonorrhoea, Syphilis, Urethrites, Cervicitis, etc.

(ii) विषाणु द्वारा__ Cervix, Carcinoma, herpes, AIDS etc.

(iii)प्रोटोजोवा द्वारा__ Trichomoniasis etc.


10th Biology Solutions (Notes) in Hindi


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. विभिन्न प्रकार के अलैंगिक जनन का सचित्र एवम संक्षिप्त विवरण दें।

उतर –  विभिन्न प्रकार के अलैंगिक जनन का संक्षिप्त विवरण  इस प्रकार है:

(i) बिखंडन__ यह अलैंगिक जनन की वह विधि है जिसमें कोई एक कोशिकीय जीव अपने केंद्रक से अपने आप को दो या दो से अधिक भागों में बांटकर अपने जैसे जीव उत्पन्न करते हैं। जैसे_अमीबा का जनन।

(ii) मुकुलन__ यह अलैंगिक जनन की वह विधि है जिसमें किसी जनक के शरीर से अलग-अलग कलिका या प्रवर्ध निकलते हैं, फिर वह कलिका धीरे धीरे बड़ा होकर अपने जनक के शरीर से अलग हो जाता है ऐसी विधि मुकूलन कहलाती है। जैसे, हाइड्रा का जनन।

(iii) अपखंडन या पुनर्जनन__ यह अलैंगिक जनन की वह विधि है जिसमें किसी जीव शरीर का कोई विशेष हिस्सा यदि किसी कारणवश कट फट जाए तो दुबारा उसी के समान दूसरा नया अंग बन कर तैयार हो जाता है। जैसे, प्लेनेरिया का जनन।

(iv) बीजाणु जनन__ निम्न श्रेणी के जीव जैसे कवक जीवाणु शैवाल अपने बना शरीर के अंदर थैलीनुमा रचना बना लेते हैं। जो स्पोर् कहलाता है और शरीर के ऊपर एक कड़ा आवरण बना लेले हैं जो उन्हें प्राकृतिक प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षा प्रदान करता है। परंतु इस आवरण के अंदर स्पोर अनेक छोटे छोटे टुकड़े में विघटन हो जाते हैं और बाहर स्पोर के रूप में निकलते हैं। ऐसा जनन बिजाणु जनन कहलाता है।

(v) कायिक प्रवर्धन __ अलैंगिक जनन की वह विधि जिसमें पादप शरीर के विशेष हिस्से जैसे जड़ तना, पत्ती इत्यादि से नया प्रवर्ध निकलते हैं फिर विकसित होकर अपने जैसे जीव को जन्म देते हैं।


2. उत्तक-संवर्धन कैसे संपन्न होता है? कायिक प्रवर्धन के लागों का उल्लेख करें।

उतर – उत्तक संवर्धन एक प्रकार का कृत्रिम कायिक प्रवर्धन है। इसे तैयार करने के लिए किसी पौधों का विशेष हिस्सा काटकर उसे पोषक तत्वों के घोल में रखा जाता है फिर जब वह अंकुरण ले लेता है तब उसे गोबर का लेप लगाकर जमीन में गाड़ दिया जाता है। तत्पश्चात वह विकसित होकर पौधा का रूप ले लेता है।

    कायिक प्रवर्धन के लाभ निम्न है: 

(i) इसमें बीज आवश्यक नहीं होती है। 

(ii) इसमें वांछित गुण उत्पन्न नहीं होता है।

(iii) इसमें जाति सुदृढ़ बनी रहती है।

(iv) कायिक प्रवर्धन द्वारा पैदा किए गए पौधे बीज द्वारा उत्पन्न होनेवाले पौधों की तुलना में कम समय में फूल एवम् फल देने लगते है।

(v) कायिक प्रवर्धन में प्राप्त सभी पौधों अनुवांशिक गुणों में जनक पौधों के ही समान रहते हैं।


3.  परागण से लेकर बीज बनने तक की क्रिया को संक्षेप में उध्दृत करें।

उतर – पारागण पौधों में होने वाली एक ऐसी क्रिया है जिसमें परागकोष से परागकण निकलकर जब वर्तिकाग्र तक पहुंचता है तब निषेचन की क्रिया होती है तब निषेचन की क्रिया होती है जिसके फलस्वरूप युग्मनज बनता है। वह धीरे धीरे वर्तिकाग्र से पुनः अंडाशय में आ जाता है। बिजांडू में वह आवरण से घिर जाता है। और चारों ओर से बिजावर के द्वारा उसे घेर लिया जाता है।

  कुछ समय बाद वह भ्रूण में बदल जाता है। और फिर धीरे धीरे आगे बढ़ता हुआ पूरे अंडाशय को पकाने लगता है। बाहरी दल पत्र, पंखुड़ी ये  सब सुख कर गिरने लगते है और बिजांडू बीज में तथा अंडाशय फल में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार से पौधों में यह पूर्ण क्रिया होती है।


4.  पादप में लैंगिक एवम अलैंगक जनन के विभेद का विवरण दें।

उतर – (i) लैंगिक जनन में परागकण की जरूरत पड़ती है। जबकि अलैंगिक जनन में इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती है।

(ii) लैंगिक जनन में निषेचन होता है जबकि अलैंगिक जनन निषेचन नहीं होता है।

(iii) लैंगिक जनन में विभिन्नता की संभावना अधिक रहती है जबकि अलैंगिक जनन में विभिन्नता की संभावना कम रहती है।

(iv) लैंगिक जनन में नई जाति उत्पन्न होती है जबकि अलैंगिक जनन में कोई नई जाति नहीं उत्पन्न होती है।


5.  यौवनारंभ या प्यूबर्टी के समय किशोर बालक-बालिकाओं के शरीर में होनेवाले परिवर्तन का वर्णन करें।

उतर – यौवनारंभ के समय किशोर बालक-बालिकाओं के शरीर में होनेवाले परिवर्तन निम्न हैं: 

(i) लड़कों में दाढ़ी-मूछ निकलने लगता है।

(ii) लड़कों के आवाज में परिवर्तन आ जाता है।

(iii) लड़कों के जननांग पर बाल तथा आम्र पीठ पर बाल निकलने लगते हैं।

(iv) लड़कों के वृषण में स्पर्म का निर्माण होने लगता है।

(v)लड़कों को मैथुन की इच्छा होने लगती है।

(vi) लड़कों की त्वचा शुष्क होने लगती है।

बालिकाओं में होने वाले परिवर्तन निम्न हैं:

(i) मासिक चक्र क्रिया आरंभ होने लगती है।

(ii) गर्भाशय, अंडाशय, अंडवाहिनी तथा स्तनों का विकास होने लगता है।

(iii) त्वचा चिकना और मुलायम होने लगता है।

(iv) लाजालुपन की भावना आ जाती है।

(v) अंडाशय में अंडाणु बनने लगते हैं।

(vi) मैथुन की इच्छा होने लगती है।


6.  पुरुषों के आंतरिक जनन अंगो का वर्णन करें।

उतर – पुरुषों के आंतरिक जनन अंगो में वृषण, पुरस्थ ग्रंथि, शूक्राशय तथा पेशियों प्रधान अंग हैं।

(i)वृषण__ यह एक पुरुष का प्रधान अंग है जो एक जोड़ा पेनिस के दाएं और बाएं अवस्थित रहता है। यह वृषण कोष में रहता है। वयस्क अवस्था में यह वयस्क हार्मोन निकलाने लगता है तथा अपने अंदर स्पर्म का निर्माण करने लगता है। 

(ii)शूक्राशय__ यह पुरुष का वह जननांग है जहां स्पर्म मैथुन के समय निकलकर कुछ समय के लिए ठहरता है। और उसमें स्पर्म को उचित तत्वों की प्राप्ति होती है जिससे वह मजबूत हो जाता है।

(iii) शुक्रवाहिका__ यह पुरुष का सबसे लंबा नलिका अंग है एम जिसकी लंबाई 25cm होती है। यह वृषण में बने हुए स्पर्म को बाहर निकलने का3 कम करता है।

(iv) पुरस्थ ग्रंथि__ यह पेनिस के शीर्ष भाग पर छोटे गोलाकार रूप में अवस्थित रहता है। स्पर्म में यह पुरस्थ द्रव मिला देता है जिससे स्पर्म गंधयुक्त हो जाता है।

(v) पेनिस या शिशन__ यह पुरुष का मैथुन अंग है जो दोनों वृषण के बीच अवस्थित होता है। इसकी लंबाई 5 से 6 cm की होती है। परंतु मैथुन के पहले यह शिषुकता अवस्था में रहता है। यह मैथुन के दौरान महिला के योनि में स्पर्म पहुंचाने का कार्य करता है।


7. स्त्री में लैंगिक चक्र का वर्णन करें।

उतर – स्त्री में प्रत्येक महीने 28 अथवा 30 दिनों पर गर्भाशय से गंदे रक्त के रूप में अपशिष्ट पदार्थों का निस्काशान होता है। यह क्रिया प्रत्येक महिलाओं में 12 से 14 वर्ष के बाद प्रारंभ होता है। जिसे मासिक चक्र या लैंगिक चक्र कहा जाता है।

       यह क्रिया हरेक महिला में होना आवश्यक है ताकि वह भविष्य में संतान उत्पन्न कर सके इस क्रिया के बिना कोई भी महिला बांझ हो जाती है। लैंगिक चक्र 42 से 45 वर्ष तक रहता है। मासिक चक्र के बंद होने के 14 वे दिन अंडाशय के कॉर्पस ल्यूटियम से एक परिपक्व अंडाणु का निष्कासन होता है जिसे अंडोत्सर्ग या Ovulation कहा जाता है।

    मासिक चक्र को तीन भागों में बांटा गया है:

(i) Menstruation phase (1-5 days)

(ii) Pre-ovulation phase (6-13 days)

(iii) Post ovulation phase (15-27 days)


9. जनसंख्या-नियंत्रण के लिए व्यवहार से लाय जानेवाले विभिन्न उपायों का वर्णन करें।

उतर – जनसंख्या-नियंत्रण के लिए व्यवहार से लाय जानेवाले विभिन्न उपाय निम्न हैं: 

(i) प्राकृतिक विधि__ यह जनसंख्या-नियंत्रण का वह उपाय है जिससे स्त्री पुरुष को मासिक चक्र बंद होने के 14 वे दिन मैथुन से बचाना पड़ता है। 

(ii) रासायनिक विधि__ यह जनसंख्या-नियंत्रण की वह विधि है जिसमें महिला को वैज्ञानिक द्वारा संशोधित निर्मित रासायनिक दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है। जैसे, MALA-D, APSARA तथा SHAHELI टैबलेट।

(iii) यांत्रिक विधि__ यह जनसंख्या-नियंत्रण की वह विधि है जिसमें पुरुष को मैथुन करने के पहले कंडोम तथा महिला को कॉपर टी या डायाफ्राम का प्रयोग करना पड़ता है।

(iv) सार्वजनिक विधि__  यह जनसंख्या-नियंत्रण की स्थाई विधि है जिससे स्त्री पुरुष को नसबंदी करके हमेशा के लिए संतान उत्पन्न करने से वंचित कर दिया जाता है।


9. लैंगिक जनन संचारित रोग क्या है?

उतर – वैसे रोग जो स्त्री या पुरुष को अनैतिक ढंग से यौन संबंध बनाने के कारण उनके जनन अंगो में होता है लैंगिक जनन संचारित रोग कहलाता है। जैसे, AIDS, Gonarrea, Syphilis, Urethrites Cervicitis, Trichomoniasis, leucorrhoea etc.



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10th Biology Solutions (Notes) in Hindi


Chapter 1 (जैव प्रक्रम :पोषण)




Chapter 5 (नियंत्रण और समन्वय)

Chapter 6 (जैव प्रक्रम : जनन)




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