Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

Class 10th History (Social Science) in Hindi Medium Chapter 1 NCERT Solutions (10 वीं इतिहास नोट्स हिंदी में 2021)

इतिहास  :पाठ -1

यूरोप में राष्ट्रवाद


This Blog Post is dedicated to 10th History NCERT Notes in Hindi 10 वीं  इतिहास नोट्स हिंदी में 2021 यूरोप में राष्ट्रवाद इतिहास नोट्स हिंदी में यूरोप में राष्ट्रवाद इतिहास नोट्स हिंदी में सभी बोर्ड एग्जाम के लिए (विशेषकर बिहार बॉर्ड के लिए )

10th History Solutions (Notes) in Hindi for Bihar Board, MP Board, UP Board, Rajasthan, Chhattisgarh, NCERT, CBSE and so on.इस  ब्लॉग में हाई स्कूल इतिहास 10 वी सोलुशन नोट्स दिए हैंये सोलूशिन नोट्स परीक्षा के दृष्टी से बहुत बहुत ज्यादा महत्वूर्ण है आप इसे पढ़कर परीक्षा में अच्छा स्कोर कर सकते हैं  


For Download Full PDF of 10th History Solutions


10th History Solutions (Notes) in Hindi



*वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. इटली एवं जर्मनी वर्तमान में किस महादेश के अंतर्गत आते हैं?

उत्तर- यूरोप

2. फ्रांस में किस शाशक वंश की पूनर्स्थापना वियना कांग्रेस द्वारा की गई थी?

उत्तर- बुर्बो वंश

3. मेजिनी  का सम्बन्ध किस संगठन से था?

उत्तर- कार्बोनरी

4. इटली एवं जर्मनी के एकीकरण के विरुद्ध निम्न में कौन था?

उत्तर- ऑस्ट्रिया

5. ‘काउंट काबूर’ को विक्टर इमैनुएल ने किस पद पर नियुक्त किया?

उत्तर- प्रधानमंत्री

6. गैरीबाल्डी पेशे से क्या था?

उतर- नाविक

7. जर्मन राईन राज्य का निर्माण किसने किया था?

उत्तर- नेपोलियन बोनापार्ट

8. ‘जालवेरिन’ एक संस्था थी?

उत्तर-  व्यापारियों की

9. ‘‘रक्त एवं लौह’’ की नीती का अवलम्बन किसने किया था?

उत्तर- बिस्मार्क

10. फ्रैंकफर्ट की संधि कब हुई?

उत्तर- 1871

11. यूरोप वासियों के लिए किस देश का साहित्य एवं ज्ञान-विज्ञान प्रेरणास्रोत  रहा?

उत्तर- यूनान

12. 1829 ई0 की एड्रियानोपुल की संधि किस देश के साथ हुई?

उत्तर- तुर्की



*निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरेेंः-


1........... के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दुसरी यूरोपीय महाशक्ति जर्मनी का जन्म हुआ था?
उत्तर- सेडॉन

2. सेडोवा का युद्ध..........ओैर.......... के बीच हुआ था।
उत्तर- ऑस्ट्रिया, प्रशा

3. 1848 ई0 की फ्रांसीसी क्रांति  ने........यूग का भी अंत कर दिया।
उत्तर- मेटरनिख के

4. बेटीकन सिटी के राजमहल जहाँ........ रहते थे जो इटली के.........से बचा रहा।
उत्तर- पोप, प्रभाव

5. यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बाद बबेरिया के शासक............को वहाँ का राजा घोषित किया
उत्तर- ओटो

6. हंगरी की राजधानी..........है।
उत्तर- बुडापेस्ट



*निम्नलिखित का मिलान करेंः-

        समूह ‘अ’            समूह ‘ब’
1 मेजिनी                क. दार्शनिक
2 हीगेल                  ख. इटली
3 बिस्मार्क              ग. राजनीतिज्ञ
4 विक्टर इमैनुएल  घ. जर्मन चांसलर
उत्तर-
1 मेजिनी               ख. इटली
2 हीगेल                क. दार्शनिक
3 बिस्मार्क             घ. जर्मन चांसलर 
4 विक्टर इमैनुएल  ग. राजनीतिज्ञ

              समूह ‘अ’           समूह ‘ब’
1 वियना सम्मलेन        क. 1871 ई0
2 मेटीनिख का पतन   ख. 1870 ई0
3 इटली एकीकरण      ग. 1848 ई0
4 सेडॉन युद्ध               घ. 1815 ई0
उत्तर-- 
1 वियना सम्मलेन        घ. 1815 ई0
2 मेटीनिख का पतन    ग. 1848 ई0
3 इटली एकीकरण     क. 1871 ई0
4 सेडॉन युद्ध             ख. 1870 ई0


        समूह ‘अ’                   समूह ‘ब’
1 कोसुथ                        क. 1863 ई0
2 एड्रियानोल की संधि   ख. हगंरियन राष्ट्रवादी नेता
3 यूनान की स्वतंत्रता     ग. 1829 ई0
4 पोलैण्ड में आन्दोलन   घ. 1832 ई0
उत्तर--
1 कोसुथ                     ख. हगंरियन राष्ट्रवादी नेता
2 एड्रियानोल की संधि   ग. 1829 ई0
3 यूनान की स्वतंत्रता    घ. 1832 ई0
4 पोलैण्ड में आन्दोलन   क. 1863 ई0


10th History Solutions (Notes) in Hindi


*अति लघु उतरिए प्रश्न:  ( 20 शब्दों में उत्तर दें)

1. राष्ट्रवाद क्या है?
उत्तर- राष्ट्रवाद आधुनिक विश्व की राजनैतिक जागृति का प्रतिभल है। यह एक एसी भावना है जो किसी विशेष भौगौलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है। इकसी शुरूआत युरोप में पुनर्जागरण के काल के हो चुकी थी।

2. मेजिन कौन था?
उत्तर- मेजिन साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और एक योग्य सेनापति था। उसको तात्कालिन राजनैतिक परिस्थितियों की बेहतर समझ नहीं थी। उसने इटली के एकीकरण में अहम भुमिका निभायी थी।

3. जर्मनी के एकीकरण की बधाएँ क्या थी?
उत्तर- जर्मनी के एकीकरण में बधाऐं थी- जर्मनी के 300 छोटे-छोटे राज्य में विखंडित होना, जर्मनी के अधिकत्तर  लोगों में राष्ट्रवाद की भावना का अभाव, जर्मनी के लोगों में राजनीतिक, सामानिक तथा धार्मिक विषमताएँ का मौजुद होना तथा प्रशा राज्य और ऑस्ट्रिया जैसे देशों द्वारा जर्मनी के लोगों में पनप रहें लोकतांत्रिक विद्रोह का दबाया जाना।

4. मेटरनिख युग क्या है?
उत्तर- 1815 ई0 में वियना सम्मेलन के माध्यम के यूरोप में नेपोलियन युग का अंत और मेटरनिख युग की शुरुआत हुई। जिसका उद्देश्य यूरोप में गणतंत्र एवं प्रजातंत्र, जो फ्रांस की क्रांति की देन थी, उसका विरोध करना और पुरातन व्यवस्था की पुनर्स्थापना करना।



*लघु उत्तरीय प्रश्नः (60 लगभग शब्दों में उत्तर दें)

1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण क्या थे?
उत्तर-1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण निम्नलिखित थे-
(1) फ्रांस के शासक लुई फिलिप द्वारा एक कट्टर प्रतिक्रियावादी गीजों को प्रधानमंत्री नियुक्त करना, जो किसी तरह के वैधानिक, सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था।
(2) लुई फिलिप द्वारा पूँजिपति लोगों को शासन के कार्यो का देना जिनका शासन के कार्यो में कोई अभिरुचि नहीं थी।
(3) लुई फिलिप के लोगों के लिए किसी प्रकार सुधारत्मक कार्यक्रम का नहीं होना।
(4) लुई फिलिप के शासनकाल में देश में भुखमरी एवं बेरोजगारी की व्याप्त होना।

2. इटली, जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भुमिका क्या थी?
उत्तर- इटली और जर्मनी के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा काउंट कावूर के अनुसार ऑस्ट्रिया ही था। ऑस्ट्रिया ने कई बाद इटली और जर्मनी के राज्य पर आक्रमण कर लोगों में पनप रहे राष्ट्रवाद की भावना को कुचलना चाहा परंतु इटली और जर्मनी के मसीहा और सुभचिंतक मेजिनी, कावुर, गैरीबाल्डी तथा बिस्मार्क की नीतियों ने इटली और जर्मनी के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को उजागर किया और ऑस्ट्रिया को युद्ध में पराजित कर दिया जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रसस्त हुआ।

3. युरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तहर सहायक हुआ?
उत्तर- युरोप में राष्ट्रवाद की भावना को फैलाने में नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। युरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग का संदेश पहुँचा। नेपोलियन ने जर्मनी ओर इटली के राज्यों को भौगौलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनैतिक रूीपेखा प्रदान की। जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तरफ नेपोलियन की नीतियों के कारण फ़्रांसिसी  प्रभुता और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा।

4. गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करें।
उत्तर- गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था और एक महान क्रांतिकारी भी था। उसने इटली के एकीकरण में अहम भुमिका निभाई थी। वह सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के रियासतों के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास कर रहा था। इसलिय गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना बनायी। उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किये। इन रियासतों की अधिकांश जनता बूवों राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी की समर्थक बन गयी। गैरीबाल्डी ने यहाँ गणतंत्र की स्थापना की तथा विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता  सम्भाली। गैरीबाल्डी ने अपनी सारी सम्पŸिा राष्ट्र को त्याग कर साधारण किसान की भाँति जीवन जीने की ओर अग्रसित हुआ।

5. विलियम प् के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था कैसे?
उत्तर- विलियम प् राष्ट्रवादी विचारों का पोषक था। उसके सुधारों के फलस्वरूप जर्मनी में औद्यौगिक क्रांति की हवा तेज हो गयी साथ ही आधारभूत संरचनाओं में भी काफी सुधार हुए, जिससे जर्मन राष्ट्रीय को एकता के सूत्र में बांधनें के प्रयास तेज हूए। विलियम प् ने एकीकरण के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर महान कूटनीतिज्ञ बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया। जो आगे चलकर बिस्मार्क के कुटनीति ने जर्मनी के एकीकरण में बहुत बड़ा योगदान दिया। और बिस्मार्क का मानना था कि बिना विलियम प् के योगदान और मदद के जर्मनी का एकीकरण असंभव था। 


10th History Solutions (Notes) in Hindi


*दीर्घ उत्तरीय प्रश्नः (लगभग 150 लगभग शब्दों में उत्तर दें)

1. इटली के एकीकरण में मेजिनी, काबूर और गैरीबाल्डी के योगदानों को बतावें।
उत्तर- इटली के एकीकरण में मेजिनी का योगदान- मेजिनी गणतंात्रिक विचारों का समर्थक था। उसने सन् 1831 ई0 में ‘यंग इटली’ नामक संस्था की स्थापना की, जिसने नवीन इटली के निमार्ण में महŸवपूर्ण भाग लिया। फिर मेजिनी ने सन् 1834 ई0 ‘यंग यूरोप’ नामक संस्था का गठन कर यूरोप के अन्य देशों में चल रहे राष्ट्रीय आन्दोलन को भी प्रोत्साहित किया। मेजिनी सम्पुर्ण इटली का एकीकरण कर उसे एक गणराज्य बनाना चाहता था।
इटली के एकीकरण में काबूर का योगदान- काबूर एक सफल कुटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था। वह इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा ऑस्ट्रिया को मानता था। इसलिय उसने ऑस्ट्रिया को पराजित करने के लिए फ्रांस के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। 1853.54 के क्रिमिया युद्ध में काबुर ने फ्रांस  की तरफ युद्ध किया। इसका फायदा काबुर को पेरिस के शांति सम्मेलन में प्राप्त हुआ। उसने इस सम्मेलन में अपने कुटनीति का परिचय देते हुए इटली में ऑस्ट्रिया के हस्तक्षेप को गैरकानूनी घोषित कर दिया जिससे सम्पुर्ण यूरोप का ध्यान इटली की ओर गया। इस तरह से काबुर ने अपनी कुटनीति के बल पर इटली की समस्या को सम्पुर्ण यूरोप की समस्या बना दिया। काबूर ने नेपोलियन III से भी एक संधि की जिसके तहत फ्रांस ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ पिडमाउण्ट को सैन्य समर्थन देने का वादा किया।
इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का योगदान- गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था और एक महान क्रांतिकारी भी था। उसने इटली के एकीकरण में अहम भुमिका निभाई थी। वह सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के रियासतों के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास कर रहा था। इसलिय गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों की सशस्त्र सेना बनायी। उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किये। इन रियासतों की अधिकांश जनता बूवों राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी की समर्थक बन गयी। गैरीबाल्डी ने यहाँ गणतंत्र की स्थापना की तथा विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता सम्भाली। गैरीबाल्डी ने अपनी सारी संपत्ति राष्ट्र को त्याग कर साधारण किसान की भाँति जीवन जीने की ओर अग्रसित हुआ।

2. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भुमिका का वर्णन करें।
उत्तर- जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भुमिका- बिस्मार्क एक महान कूटनीतिज्ञ और जर्मनी का चांसलर था। उसने अपने कूटनीति का लगातार परिचय जर्मन डायट में कई बार दिया था। वह निरंकुश राजतंत्र का समर्थन करते हूए जर्मनी के एकीकरण में प्रयास में जुट गया। यह उसकी कूटनीतिक सफलता थी कि चाहे उदारवादी राष्ट्रवादी हों या कट्टरवादी राष्ट्रवादी, सभी उसे अपने विचारों का समर्थक समझते थे। बिस्मार्क जर्मन एकीकरण के लिए सैन्य शक्ति के महत्व को समझता था। अतः इसके लिए उसने ‘रक्त और लौह की नीति’ का अवलम्बन किया। उसने अपने देश में अनिवार्य सैन्य सेवा लागु कर दी। बिस्मार्क ने अपने नीतियों से प्रशा का सुढृढ़ीकरण किया और उस कारण प्रशा, ऑस्ट्रिया से किसी भी मायने में कम नहीं रहा गया। यद्यपि बिस्मार्क की नीति के अंतर्गत ऑॅस्ट्रिया से युद्ध करना जरूरी था। लेकिन वह ऑस्ट्रिया को आक्रमणकारी साबित करना चाहता था। अतः पहले ही उसने फ्रंास से समझौता कर लिया था कि ऑस्ट्रिया-प्रशा युद्ध में फ्रांस तटस्थ रहे। बिस्मार्क ने इटली के शासक विक्टर इमैनुएल से भी संधि कर ली जिसके अनुसार ऑस्ट्रिया-प्रशा यूद्ध में इटली को ऑस्ट्रियाई क्षेत्रों पर आक्रमण करना था। अंततः अपने अपमान से क्षुब्द ऑस्ट्रिया ने 1866 ई0 में प्रशा के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दी और ऑस्ट्रिया दोनों तहफ से युद्ध में फँस कर पराजित हो गया, इस तरह ऑस्ट्रिया का जर्मन क्षेत्रों पर से प्रभाव समाप्त हो गया और इस तरह जर्मन एकीकरण का दो तिहाई कार्य पुरा हो गया। 
शेष जर्मनी के एकीकरण के लिए फ्रांस के साथ युद्ध करना जरूरी था। इसी समय स्पेन की राजगद्दी का मामला उभर कर सामने आया जिसपर प्रशा के राजकुमार की दावेदारी थी लेकिन फ्रांस इसका खुलकर विरोध कर रहा था। इस बात को बिस्मार्क ने तोड़-मरोड़ कर प्रेस में जारी कर दिया। जिसके फलस्वरूप जर्मन राष्ट्रवादीयों ने इसका खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया। इससे चिढ़ कर 19 जुल 1870 को फ्रांस के शासक नेपोलियन ने प्रशा के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और सेडॉन की लड़ाई में फ्रांस  में फ्रांसिसियों की जबर्दस्त हार हुई। इस प्रकार बिस्मार्क के कुटनीति के कारण सेडॉन के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दूसरी महाशक्ति का उदय हुआ।

3. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं प्रभाव की चर्चा करें।
उत्तर- राष्ट्रवाद की भावना का बिजारोपण यूराप में पुनर्जागरण के काल से ही हो चूका था। परन्तु 1789 ई0 की फ्रांसीसी क्रांति से यह उन्नत एवं आक्रमक रूप में सामने आयी। इसके कारण भी यथेष्ट थे और परिणाम भी युगान्तकारी रहे।
यूरोप में राष्ट्रयता की भावना के विकास में फ्रांस की राज्यक्रांति, तत्पश्चात नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीति को अभिजात्यवर्गीय परिवेश से बाहर कर उसे अखबारों, सड़कों और सर्वसाधारण की वस्तु बना दिया। यूरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग का संदेश पहुँचा। नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों भौगौलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनैति रूपरेखा प्रदान की। जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तहफ नेपोलियन की नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुता और अधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा। इस विरुद्ध और विक्षोभ ने यूरोप के लोगों में अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जगाया। जिससे लोग खुलकर विरुद्ध करने लगे। ओैर अपने राष्ट्र के लिए मर-मिटने के तैयार होने लगे। जिससे आगे चलकर यूरोप के लगभग सभी देश आजाद हो गये।

4. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दें।
उत्तर- चार्ल्स-X एक निरंकुश एवं प्रतिक्रियावादी शासक था जिसने फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता तथा जनतंत्रवादी भावनाओं को दबाने का कार्य किया। उसने अपने शासनकाल में संवैधानिक लोकतंत्र की राह में कई गतिरोध उत्पन्न किये। उसके द्वारा प्रतिक्रियावादी पोलिग्नक को प्रधानमंत्री बनाया गया। पोलिग्नेक ने पूर्व में लुई 18 वें द्वारा स्थापित समान नागरिक सहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना तथा उसे विशेषाधिकारों से विभुषित करने का प्रयास किया। उसके इस कदम को उदावादियों ने चुनौती तथा क्रांति के विरुद्ध षड्यंत्र समझा। प्रतिनिधि सदन एवं दुसरे उदारवादियों ने पोलिग्नेक के विरुद्ध गहरा असंतोष प्र्रकट किया। चार्ल्स-X ने इस विरोध के प्रतिक्रियास्वरूप् 25 जुलाई 1830 ई0 को चार अध्यादेशों द्वारा उदार तत्वों का गला घोंटने का प्रयास किया। इन अध्यादेशों के विरोध में पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गई और फ्रांस में 28 जुन 1830 ई0 से गृहयुद्ध आरम्भ हो गया इसे ही जुलाई  1830 की क्रांति कहते हैं। परिणामतः चार्ल्स-ग् फ्रांस की राहगद्दी त्याग कर इंग्लैंड पलायन कर गया और इस प्रकार फ्रांस में बूर्वो वंश के शासन का अंत हो गया। उसके स्थान पर आर्लेयेंस वंश को गद्दी को सौंपी गई।
इस क्रांति ने फ्रांसीसी क्रांति के सिद्धान्तों को पुनर्जीविता किया तथा वियना काँग्रेस के उद्देश्यों को निर्मूल सिद्ध कर दिया। इसका प्रभाव सम्पुर्ण यूरोप पर पड़ा और राष्ट्रीयता तथा देशभक्ति की भावना का प्रस्फुटन जिस प्रकार हुआ उसने सभी युरोपीयों राष्ट्रों के राजनैनिक एकीकरण, संवैधानिक सुधारों तथा राष्ट्रवाद के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। 

5. यूनानी स्वतंत्रा आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर- यूनान का अपना गौरवमय अतीत रहा है। पुनर्जागरण के काल में इनसे प्रेरणा लेकर पाश्चात्य देशों ने अपनी तरक्की शुरू की। परन्तु इसके बावजूद भी यूनान तुर्की साम्राज्य के अधीन था।
फ्रंासीसी क्रांति से यूनानियों में राष्ट्रीयता की भावना की लहर जागी, क्योंकि धर्म जाति और संस्कृति के आधार पर इनकी पहचान एक थी। फलतः तुर्की शासन से स्यवं को अलग करने के लिए आन्दोलन चलाये जाने लगे। इसके लिए इन्होंने हितेरिया फिलाइक नामक संस्था की स्थापना ओडेसा नामक स्थान पर की। इसका उद्देश्य तुर्की शासन को यूनान से निष्काषित कर उसे स्वतंत्र बनाना था। क्रांति के नेतृत्व के लिए यूनान में शक्तिशाली मध्यम वर्ग का भी उदय हो चुका था। इंग्लैंड का महान कवि लार्ड बायरन यूनानियों की स्वतंत्रता के लिए यूनान में ही शहीद हो गया। इससे यूनान की स्वतंत्रता के लिए सम्पूर्ण यूरोप में सहानुभुति की लहर दौड़ने लगी।
यूनान में विस्फोटक स्थिति तब और बन गई जब तुर्की शासकों द्वारा यूनानी स्वतंत्रता संग्राम में संलग्न लोगें को बुरी तरह कुचालना शुरू किया गया। 1821 ई0 में अलेक्जेंडर चिपसिलांटी के नेतृत्व में यूनान में विद्रोह शुरू हो गया। 1827 में लंदन में एक सम्मेलन हुआ जिसमें इंग्लैंड, फ्रांस और रूस ने मिलकर तुर्की के खिलाफ तथा यूनान के समर्थन में संयुक्त कार्यवाही करने का निर्णय लिया। इस प्रकार तीनों देशों की संयुक्त सेना नावारिना की खाड़ी में तुर्की के खिलाफ एकत्र हुई। तुर्की के समर्थन में सिर्फ मिस्र की सेना ही आयी। युद्ध में मिस्र की सेना बुरी तरह के पराजित हुई और अंततः 1829 ई0 में एड्रियानोपल की संधि में तुर्की की नाममात्र की प्रभुता में युनान को स्वायत्ता  देने की बात की तो युनान के लोंगों ने इसे इंकार कर दिया। फलतः 1832 ई0 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया और बवेरिया के शासक ‘ओटो’ को स्वतंत्र यूनान का राजा घोषित कर दिया गया।


For Download Full PDF of 10th History Solutions

Click Here


For Download Full PDF of 10th Physics Solutions
Click Here

 

For Download Full PDF of 10th Biology Solutions
Click Here


For Download Full PDF of 10th Chemistry Solutions
Click Here

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. Sir aap geography economics history आपदा प्रबंधन और पोलिटिकल साइंस के prashan और उत्तर इसी वेबसाइट पर डालिए ncert syllabus

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं