हमारी अर्थव्यवस्था: पाठ -1
अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
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*वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Question)
f सही विकल्प चुनें
1. निम्न को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है।
उत्तर- कृषि क्षेत्र
2. इनमें से कौन-से देश में मिश्रित अर्थव्यस्था है?
उत्तर- भारत
3. भारत में योजना आयोग का गठन कब किया गया था?
उत्तर- 15 मार्च 1950
4. जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश कहलाता है।
उत्तर- विकसित
5. इनमें से किसे पिछड़ा राज्य कहा जाता है?
उत्तर- बिहार
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. भारत अंग्रेजी शासन का एक..............था।
उत्तर- उपनिवेश
2. अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था का...............किया।
उत्तर- शोषण
3. अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की...........है।
उत्तर- प्रणाली
4. द्वितीयक क्षेत्र को.............क्षेत्र कहा जाता है।
उत्तर- औद्योगिक
5. आर्थिक विकास आवश्यक रूप से............की प्रक्रिया है।
उत्तर- परिवर्तन
6. भारत में आर्थिक विकास का श्रेय.............को दिया जाता है।
उत्तर- नियोजन
7. आर्थिक विकास का माप करने के लिए................को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है।
उत्तर- प्रतिव्यक्ति आय
8. साधनों के मामलों में धनी होते हुए भी बिहार की स्थिति...............है।
उत्तर- दयनीय
9. बिहार में.............ही जीवन का आधार है।
उत्तर- कृषि
10. बिहार के विकास में............एक बहुत बड़ा बाधाक है।
उत्तर- बाढ़
*अति लघु उतरिए प्रश्न: (Short-Answer Questions)
1. अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर- कुछ अर्थशास्त्रियों ने अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है-
आर्थर लेविस के अनुसारः- ‘‘अर्थव्यस्था का अर्थ’’ किसी राष्ट्र केे संपूर्ण व्यवहार से होता है जिसके आधार पर मानवीय आवश्यकताओं की संतुतिष्ट के वे अपने संसाधनों का प्रयोग करता है।
ब्राउन के अनुसारः- अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की एक प्रणाली है।
दूसरे शब्दों में ‘‘अर्थव्यवस्था आर्थिक क्रियाओं का एक ऐसा संगठन है जिसके अन्तर्गत लोग कार्य करके अपनी आजीविका चालते हैं।’’
संक्षेप में अगर कहा जाए तो ‘‘अर्थव्यवस्था समाज की सभी अर्थिक क्रियाओं का योग है।’’
2. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?
उत्तर- मिश्रित अर्थव्यवस्था ;डपगमक म्बवदवउलद्ध- मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था का मिश्रण है। मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार तथा नीजी व्यक्तिायों के पास होता है। जैसे भारत में मिश्रित अर्थव्यस्था है। यह अर्थव्यस्था पूँजीवाद एवं समाजवाद के बीच का रास्ता है।
3. सतत् विकास क्या है?
उत्तर- सतत् विकास का शाब्दिक अर्थ है- ऐसा विकास जो जारी रह सके, टिकऊ बना रह सके। सतत् विकास में न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भावी पीढ़ी के विकास को भी ध्यान में रखा जाता है।
ब्रुण्डलैंड आयोग ने सतत् विकास के बारे में बताया गया है कि ‘‘विकास वह प्रक्रिया जिसमें वर्तमान की आवश्यकताएँ बिना भावी पीढ़ी की क्षमता, योगताओं से समझौता किए, पूरी की जाती है।’’
4. आर्थिक नियोजन क्या है?
उत्तर-आर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधानों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है।
भारत में आर्थिक नियोजन का श्रेय नियोजन को दिया जा सकता है।
5. मानव विकास रिपोर्ट (Human Development Report) क्या है?
उत्तर- मानव विकास रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाने वाली एक रिपोर्ट है जिसमें दुनिया के विकास के प्रमुख मुद्दा, प्रवृतियों और नीतियों पर चर्चा शामिल रहती है। इसके अलावा यह रिपोर्ट मानव विकास सूचाकांक के आधार पर देशों की वार्षिक रैकिंग भी प्रदान करती है।
6. आधारिक संरचना (Infrastructure) पर प्रकाश डालें।
उत्तर- आधारिक संरचना का मतलब उन सुविधाओं तथा सेवाओं से है जो देश के आर्थिक विकास के लिए सहायक होते हैं। वे सभी तत्त्व, जैसे- बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि देश के आर्थिक विकास के आधार हैं, उन्हें देश का आधारिक संरचना या आधारभूत ढाँचा कहा जाता है।
किसी देश के आर्थिक विकास में आधारिक संरचना का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिस देश का आधारभूत ढाँचा जितना अधिक विकसित होगा, वह देश उनता ही अधिक विकसित होगा।
*दीर्घ उत्तरीय प्रश्नः (Long-Answer Questions)
1. अर्थव्यवस्था की संरचना (Structure of Economy) से क्या समझते हैं? इन्हें कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर- अर्थव्यवस्था की संरचना का मतलब विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में इसके विभाजन से है। चूँकि अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ अथवा गतिविधियाँ सम्पादित की जाती है, जैसे, कृषि, उद्योग, व्यापार, बैंकिंग, बीमा, परिवहन, संचार आदि।
अर्थव्यवस्था को तीन भागों में बाँटा गया है-
(1) प्राथमिक क्षेत्र- प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत कृषि, पशुपालन, मछली पालन, जंगलों से वस्तुओं को प्राप्त करना जैसे व्यवसाय आते हैं।
(2) द्वितीयक क्षेत्र- द्वितीयक क्षेत्र को आद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत खनिज व्यवसाय, निमार्ण कार्य, जनोपयोगी सेवाएँ, जैसे गैस और बिजली आदि के उत्पादन आते हैं।
(3) तृतीयक क्षेत्र- तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र कहा है। इसके अंतर्गत बैंक एवं बीमा, परिवहन,ं संचार एवं व्यापार आदि क्रियाएँ सम्मिलित है। ये क्रियाऐं प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों की क्रियाओं को सहायता प्रदान करती है। इसलिए इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।
2. आर्थिक विकास क्या है? आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर बतावें।
उत्तर- ऐसे तो आर्थिक विकास की परिभाषा को लेकर अर्थशास्त्रियों में काफी मतभेत है। इसकी एक सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी जा सकती है। फिर भी आप इसकी कुछ महŸवपूर्ण परिभाषा को जान लें।
प्रो0 रोस्टोव के अनुसारः- आर्थिक विकास एक ओर श्रम शक्ति में वृद्धि की दर तथा दूसरी जनसंख्या में वृद्धि के बीच का सम्बन्ध है।
प्रो0 मेयर एवं बाल्डविन के अनुसारः- आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दीर्घकाल में किसी अर्थव्यवस्था की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
अतः यह स्पष्ट है कि आर्थिक विकास आवश्यक रूप से परिवर्तन की प्रक्रिया है। इससे अर्थव्यवस्था के ढाँचे में परिवर्तन होते हैं। इसके चलत प्रति व्यक्ति वास्तविक आय बदलती है तथा आर्थिक विकास के निर्धारक निरंतर बदलते है। आर्थिक विकास मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था के समस्त क्षेत्रों में उत्पादकता का ऊँचा स्तर प्राप्त करना होता है। इसके लिए विकास प्रक्रिया को गतिशील करना पड़ता है।
आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में अंतर- सामान्यतः आर्थिक विकास तथा आर्थिक वृद्धि में कोई अंतर नहीं माना जाता है। दोनों शब्दों को एक-दुसरे स्थान पर प्रयोग किया जाता है। लेकिन अर्थशास्त्रियों द्वारा इन दोनों के बीच अन्तर किया जाने लगा है।
श्रीमती उर्सला हिक्स के अनुसारः- ‘‘वृद्धि’’ शब्दों को प्रयोग आर्थिक दृष्टि से विकसित देशों के संबंध में किया जाता है। जबकि ‘‘विकास’’ का शब्द का प्रयोग विकासशील अर्थव्यवस्थायों के संदर्भ मंे किया जाता है।
डॉ0 ब्राईट सिंह के अनुसारः- वृद्धि शब्द का प्रयोग विकसित देशों के लिए किया जा सकता है।
मैड्डीसन के अनुसारः- धनी देशों में आय का बढ़ता स्तर ‘आर्थिक वृद्धि’ का सूचक होता है जबकि निर्धन देशों में आय का बढ़ता हुआ स्तर ‘आर्थिक विकास’ का सूचक होता है।
3. आर्थिक विकास की माप कुछ सूचकांकों के द्वारा करें।
उत्तर-आर्थिक विकास की माप निम्नलिखित सूचाकांकों द्वारा कर सकते हैं-
राष्ट्रीय आय ;छंजपवदंस प्दबवउमद्ध- राष्ट्रीय आय को आर्थिक विकास का एक प्रमुख सुचक माना जाता है। किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। सामान्य तौर पर जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश विकसित कहलाता है और जिस देश के राष्ट्रीय आय कम होता है वह देश अविकसित कहलाता है।
प्रति व्यक्ति आय ;च्मत ब्ंचपजं प्दबवउमद्ध- आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है। प्रति व्यक्ति आय देश में रहते हुए व्यक्तिओं की औसत आय होती है। राष्ट्रीय आय को देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, वह प्रति व्यक्ति आय कहलाता है। इसे फार्मूल से निम्नलिखित तरिकें से लिखते हैं-
प्रति व्यक्ति आय त्र राष्ट्रीय आयध्कुल जनसंख्या
विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के 2006 अनुसार जिन देशों की 2004 में प्रतिव्यक्ति आय 4,53,000 रुपये प्रतिवर्ष या इससे अधिक है, वह विकसित देश है और वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय 37,000 रुपये प्रतिवर्ष या इससे कम है उन्हें निम्न आय वाला देश ;विकासशीलद्ध कहा गया है। भारत निम्न वर्ग के देश में आता है, क्योंकि भारत की प्रतिव्यक्ति आय 2004 में केवल 28,000 रुपयें प्रतिवर्ष है।
4. बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के क्या कारण है? बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कूछ मुख्य उपाय बतावें।
उत्तर- बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के निम्नलिखित कारण हैंः-
(1) तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या- बिहार में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते विकास के लिए साधन कम पड़ जाते हैं। अधिकांश साधन जनसंख्या के भरण-पोषण में चले जाते हैं।
(2) आधारिक संरचना का अभाव- बिहार में आधारिक संरचना जैसे सड़क, बिजली एवं सिंचाई का अभाव है। साथ ही यहाँ शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ में भी कमी है। किसी भी राज्य के विकास के लिए इन सभी का मजबुत होना अति आवश्यक है। लेकिन बिहार में इसका अभाव होने से ये पिछड़ा हुआ है।
(3) कृषि पर निर्भरता- बिहार की अर्थव्यस्था पुरी तरह कृषि पर आधारित है। लेकिन यहाँ की कृषि में पूरीनी तकनीकी का ही अभी भी उपयोग होता है जिससे उपज कम होता है।
(4) बाढ़ एवं सूखा से क्षति- बिहार में खासकर उŸारी बिहार में नेपाल से आए जल से बाढ़ आती है। हर साल कम या अधिक बाढ़ का आना बिहार में तय है। इसी तरह सूखे की मार दक्षिणी बिहार को झेलनी पड़ती है जिससे यहाँ के किसानों को अकाल जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।
(5) औद्योगिक पिछड़ापन- जब बिहार से झारखंड अलग हुआ तो यहाँ के सभी खनिज क्षेत्र एवं बड़े उद्योग तथा प्रतिष्ठित अभियांत्रिकी संस्थाएँ सभी झारखण्ड चले गए। इस कारण से बिहार में कार्यशील औद्योगिक इकाइयों की संख्या नगण्य ही रह गई है। इसी कारण से भी बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य है।
(6) गरीबी- बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ गरीबी का भार काफी अधिक है। इसके चलते भी बिहार बिहार पिछड़ा राज्य है। यहाँ निर्धनता का दुष्चक्र है।
(7) खराब विधि व्यवस्था- बिहार में वर्षो तक कानून व्यवस्था कमजोर स्थिति में थी जिसके चलते नागरिक शांतिपूर्ण उद्योग नहीं चला पा रहे हैं।
(8) कुशल प्रशासन का अभाव- बिहार के प्रशासनिक व्यवस्था में प्रदर्शिता का अभाव है। इसके कारण ही आए दिन भ्रष्टाचार के कई उदाहरण सामने आते रहते हैं। इस कारण से बिहार का विकास अवरुद्ध है।
बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कूछ निम्नलिखित मुख्य उपायः-
(1) जनसंख्या पर नियंत्रण होना चाहिए
(2) कृषि का तेजी से विकास करना होगा।
(3) बाढ़ पर नियंत्रण करने के लिए कई योजना चलनी चलनी चाहिए।
(4) आधारिक संरचना का विकास होना चाहिए
(5) उद्योगों का विकास होना चाहिए
(6) सरकार को गरीबी दूर करने के लिए कई नई योजना को चलना होगा
(7) सही तरह से शांति व्यवस्था की स्थापना होनी चाहिए
(8) कुशल एवं ईमानदार प्रशासन का चुनाव होना चाहिए
(9) बिहार के विकास के लिए केन्द्र से अधिक मात्रा में संसाधानों का हस्तांतरण होना चहिए।
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1 टिप्पणियाँ
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