जिव विज्ञान :पाठ – 7
आनुवांशिकता तथा जैव विकास
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10th Biology Solutions (Notes) in Hindi
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. कोशिका में जीन कहां अवस्थित होते हैं?
उतर – जीन कोष में
2. विभिन्नता के दो मुख्य प्रकार कौन कौन से हैं?
उतर – कायिक तथा जननिक विभिन्नता
3. पीढ़ी दर पीढ़ी वंशागत होकर संचित होनेवाली विभिन्नता क्या कहलती है
उतर – जननिक विभिन्नता
4. ऐसे आनुवांशिकता गुण या लक्षण जो स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, क्या कहलाता है?
उतर – फिनोटाइप।
5. आनुवांशिकी का पिता कौन कहलाता है?
उतर – ग्रेगर जॉन मेंडल।
6. मेंडल ने अपने प्रयोग के लिए किस पौधे का चयन किया था? उसका वैज्ञानिक नाम क्या है?
उतर – मटर (Pisum sativum)
7. मेडल के प्रयोग एकसंकर से प्राप्त जीन प्रारुपी अनुपात कितना है?
उतर – 3:1
8. मेंडल का प्रथम नियम क्या कहलाता है?
उतर – पृथक्करण का नियम।
9. आनुवांशिक विभिन्नता के दो मुख्य स्रोत कौन कौन से हैं?
उतर – Recombinant DNA, mutation
10. किसी जाति विशेष के एक समष्टि या आबादी में स्थित समस्त जीन क्या कहलाता है?
उतर – जीन पूल
11.जीन के उत्पति ठीक पहले पृथ्वी का वातावरण अपचायक था या उपचायक?
उतर – अपचायक ।
12. उपार्जित लक्षणों के वंशागति द्वारा जैव विकास की ब्व्याख्या किसने की थी?
उतर – लैमार्क।
13.प्राकृतिक चुनाव द्वारा प्राणियों के विकास का सिद्धांत किसने दिया था?
उतर – चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन।
14. जीवाश्म की आयु निर्धारण की एक वैज्ञानिक विधि का नाम बताएं।
उतर – Radio कॉर्बन काल निर्धारण।
15. जीवों का वह गुण जो उसे अपने जानकों या अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता है, क्या कहलाता है?
उतर – विभिन्नता।
16. जीवों के शरीर में होनेवाली वैसी विभिन्नताएं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत नहीं होती है क्या कहलाती है?
उतर – कायिक विभिन्नता
17. मेंडल के आनुवांशिकी के प्रयोग से F पीढ़ी के उन पौधों को जिनमें जनक पौधों के दोनों विपरीत गुण मौजूद थे, क्या कहा गया है?
उतर – प्रथम संतति
18. मेंडल के एकसंकर संकरण के प्रयोग के फलस्वरूप F2 पीढ़ी में उत्पन्न पौधों में लक्षण प्रारूपी अनुपात क्या था?
उतर – 3:1
19. मेंडल के द्वारा मटर के पौधों पर किए गए आनुवांशिकी के प्रयोग में बौनापन किस प्रकार का गुण था?
उतर – अप्रभावी।
20. मनुष्य में पाए जाने वाले 23 जोड़े क्रोमोसोम में 22 जोड़े एक ही प्रकार के क्रोमोसोम क्या कहलाता है?
उतर – ऑटोसम।
21. जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवों की उत्पत्ति तथा उसके पूर्वजों का इतिहास तथा समय समय पर उनमें हुए क्रमिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है, क्या कहलाता है?
उतर – जैव विकास।
22. प्राकृतिक चुनाव द्वारा जीवों का विकास जैव विकास द्वारा यह व्याख्या क्या कहलाता है?
उतर – डार्विनवाद।
23. जीवों के वैसे अंग जो संरचना एवम् उत्पति की दृष्टी से एक समान होते हैं परंतु वे अलग अलग कार्यों का संपादन करते हैं, क्या कहलाते हैं?
उतर – समजात अंग
24. लुप्त हो चुके जीवों का पत्थरों पर पाए जानेवाला चिह्न क्या कहलाता है?
उतर – जीवाश्म।
25. एक ही प्रजातियों के सदस्यों के बीच आपस में होनेवाले प्रजनन को क्या कहते हैं?
उतर – अंत प्रजनन।
26. फूलगोभी किस प्रकार का पुष्प है?
उतर – बंध पुष्प।
27. मानव का उद्धव-स्थान मूलरूप से अफ्रीका है या एशिया?
उतर – अफ्रीका के शिवालिक पहाड़ी में।
28. उद्धव के दृष्टि से मानव का सबसे करीबी संबंधी कौन है?
उतर – चिपैंजी।
29. आधुनिक मानव का प्राचीनतम जीवाश्म के किस स्थान से प्राप्त हुआ है?
उतर – शिवालिक पहाड़ी
30. DNA अनुक्रम की तुलनात्मक अध्ययन द्वारा किस जीव के पूर्वजों की खोज क्या कहलाता है?
उतर – आण्विक जातिवृत।
10th Biology Solutions (Notes) in Hindi
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विभिन्नता की परिभाषा दें।
उतर – किस जीव में मौजूद ऐसा लक्षण या गुण जो उसके अपने ही प्रजाति के दूसरे जीवों से मिलता-जुलता नहीं है, विभिन्नता कहलाता है।
2. आनुवांशिकता का अर्थ बताएं।
उतर – किसी जीव शरीर के अंदर पाए जानेवाले विभिन्न प्रकार के आनुवांशिक पदर्थो के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना आनुवांशिकता कहलाता है।
3. जीवाश्म या जीनोटाइप किसे कहते हैं?
उतर – किसी जीव शरीर के अंदर पाए जानेवाले भीतर लक्षण तथा आनुवांशिक पदार्थों के बारे में जानकारी प्राप्त करना Genotype कहलाता है।
4. मेंडल का प्रथम नियम या पृथक्करण का नियम क्या है?
उतर – अप्रभावी गुण या लक्षण ना तो समाप्त होते हैं और ना ही विलुप्त होते हैं बल्कि कुछ समय के लिए छिप जाता है जो अगली पीढ़ी में जाकर प्रकट हो जाता है, पृथक्करण का नियम कहलाता है ।
5. जीन कोष क्या है?
उतर – किसी जाति विशेष एक समिष्ट या आबादी में एस 5स्थित समस्त जीनों का समूह जीन कोष कहलाता है।
6. जाती उद्भवन क्या है?
उतर – जब दो अलग-अलग जाती के नर और मादा प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से मैथुन करते हैं तब उसके द्वारा उत्पन्न जीव पूरी तरह न नर से मिलते हैं और ना ही मादा से बल्कि दोनों के लक्षण वाले मिश्रित गुण के पैदा होते हैं और एक नई जाति को उत्पन्न करते है, जिसे जाति उद्भवन या Speciation कहलाता है। जैसे, घोड़ा और गदही से खच्चर उत्पन्न हुआ है, जो नई जाति है।
7. आनुवांशिक गुण से आप क्या समझते हैं?
उतर – किसी जीवों में मौजूद ऐसा लक्षण या गुण पीढ़ी दर पीढ़ी एक जीव से दूसरे जीवों में स्थान्तरित होते रहता है आनुवांशिक गुण कहलाता है।
8. जंतु वर्गीकरण के विभिन्न स्तरों का नाम लिखें।
उतर – जंतु वर्गीकरण के विभिन्न स्तर, जगत या उपजगत, फाइलम (संघ), डिविजन, वर्ग, ऑर्डर, फैमली, जीनस तथा स्पिसीज है।
9. समजात अंग एवम् असमजात अंग से आप क्या समझते हैं?
उतर – समजात अंग - दो अलग-अलग जीवों में मौजूद ऐसा अंग जो बनवावट की दृष्टि से तो एक समान होते हैं परंतु उनका कार्य अलग-अलग होता है समजात अंग कहलाता है। जैसे, मनुष्य का हाथ और घोड़ा का अग्रपाद।
असमजात अंग-. ऐसे अंग जो रचना और उत्पत्ति के दृष्टि से भिन्न होते हैं परंतु कार्यों की दृष्टि से समान, असमजात अंग कहलाते हैं। जैसे, पक्षी और किटों के पंख।
10. लिंग क्रोमोसोम किसे कहते हैं?
उतर – पुरुषों के स्पर्म में जो 23 जोड़े क्रोमोसोम होते हैं उनमें से 22 जोड़ा क्रोमोसोम एक ही जैसी होता है, जिन्हे Autosome कहते हैं। लेकिन 23 वा जोड़ा भिन्न होता है जो X और Y के रूप में रहता है जो लड़की या लड़का उत्पन्न करने में अंतर स्थापित करता है उसे Y क्रोमोसोम को लिंग क्रोमोसोम कहा जाता है।
10th Biology Solutions (Notes) in Hindi
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. विभिन्नता क्या है? जननिक विभिन्नता एवम् कायिक विभिन्नता की वर्णन करें।
उतर – किसी जीवों में मौजूद ऐसा लक्षण या गुण जो उसके अपने ही प्रजाति के दूसरे जीवों से मिलता-जुलता न हो, विभिन्नता कहलाता है।
विभिन्नता दो प्रकार का होता है:
(i)जननिक विभिन्नता– जब किसी में जन्म से ही कुछ ऐसा लक्षण या गुण आ जाय जो उसे दूसरे जीवों से विभिन्नता दर्शाता हो तब उसे जननिक विभिन्नता कहा जाता है। जैसे, जन्म से ही आंख का भूरा या नीला होना।
(ii) कायिक विभिन्नता– कुछ ऐसे नए लक्षण या गुण जीवों को तब आ जाता है जब किसी-किसी वातावरण खान-पान या रहन-सहन के कुप्रभाव से उसके शरीर में जन्म के बाद विभिन्नता उत्पन्न हो जाना कायिक विभिन्नता कहलाता है।
2. मनुष्य में लिंग-निर्धारण के विधि का वर्णन करें।
उतर – स्त्री और पुरुष के स्पर्म और अंडाणु में जो क्रोमोसोम पाए जाते हैं वे एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, महिलाओं के ovum में X और X क्रोमोसोम पाए जाते हैं जबकि पुरुषों के स्पर्म में X और Y के रूप में क्रोमोसोम होते हैं। जब पुरुष का X क्रोमोसोम महिला के X क्रोमोसोम से निषेचित होता है तब पुत्री का जन्म होता है और जब पुरुष का Y क्रोमोसोम महिला के X क्रोमोसोम से निषेचित होता है तब पुत्र का जन्म होता है।
3. जैव विकास क्या है? लैमार्कवाद का वर्णन करें।
उतर – ऑर्गेनिक इवोल्यूशन (organic evolution) - महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने जैव विकास का प्रतिपादन किया इसीलिए हम उन्हें Father of evolution कहते हैं। उन्होंने 1859 ईस्वी में स्वलिखित पुस्तक The origine of species में जैव विकास के सारे सिद्धांत को वर्णन कर दिए हैं। उनके अनुसार जीवों की उत्पत्ति एक अत्यंत छोटे सरल एककोशिकीय जीवों से हुई है। एककोशिकिय जीवों में धीरे धीरे परिवर्तन हुआ और बहुकोशिकीय जीवों का जन्म हो गया। इस प्रकार जीवों का जन्म हो गया। इस प्रकार जीवों में धीरे धीरे विकास होता गया और आज बहुत सारे जीवों की उत्पत्ति हो गई है।
लैमार्कवाद - महान वैज्ञानिक लैमार्क ने उपार्जित लक्षणों के बारे में जो सिद्धांत दिया उसे लैमार्कवाद कहा जाता है। लैमार्क ने अपने इस सिद्धांत में बताया है की कोई जीव जहां रहते हैं जैसा खाना खाते हैं वैसे ही उनके लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। वह लक्षण उनमें वैसे भोजन करने या वैसे इलाकों में रहने से उत्पन्न होते हैं। उन्होंने अपने सिद्धांत में यह भी बताया की कोई जीव जिस अंग का उपयोग जितना ही अधिक करते हैं उस अंग का उचित वृद्धि और विकास उतना ही अधिक होता है और जिस अंग का उपयोग कम या नहीं करते हैं उसका विकास भी कम या नहीं करते हैं उसका विकास भी कम होता है या वह अंग धीरे धीरे विलुप्त हो जाता है। जैसे, पुरुष के कान का बाल, पुरुष का छाती।
5. डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धांत का वर्णन करें।
उतर – चार्ल्स डार्विन ने अपने सिद्धांत में प्राकृतिक चुनाव सिद्धांत को भी दिया है। उन्होंने इस सिद्धांत में कहा है कि प्रकृति हर जीवों के विपरीत एक शक्ति पैदा करती हैं जिसे हर जीवों को सहना पड़ता है जो जीव प्राकृतिक को उस शक्ति को सहते हैं बने रहते हैं जो जीव प्राकृतिक के उस मार को नहीं सहते हैं वे या तो मर जाते हैं या फिर हमेशा के लिए विलुप्त हो जाते हैं।
आज जितने भी जीव मौजूद हैं वे सब प्राकृतिक द्वारा चुन लिए गए हैं। डायनासोर, डोडो पक्षी, भारतीय चिता, कस्तूरी मृग, लाल पांडा इत्यादि विलुप्त हो गये हैं। ये सब प्राकृतिक उस मार को नहीं सह पाएं और विलुप्त हो गाएं।
7. पृथ्वी पर जीवों की उत्पत्ति पर प्रकाश डालें।
उतर – डार्विन के सिद्धांत हमे बताते हैं कि पृथ्वी पर सरल जीवों से जटिल स्वरूप वाले जीवों का विकास किसी प्रकार हुआ। मेंडल के प्रयोगों से हमे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लक्षण की वंशानुगतती की कार्यविधि का पता चला। परंतु दोनों ही यह बताने में असमर्थ रहे की पृथ्वी पर जीवन की उत्पति कैसे हुई। इसके बारे में बहुत से वैज्ञानिको में मतभेद है। यह एक चिंतन का विषय है।
एक ब्रिटिश वैज्ञानिक J.B.S. हाल्ड्रेन ने 1929 में यह सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पति उन सरल अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे। उसने कल्पना की कि पृथ्वी पर उस समय का वातावरण पृथ्वी के वर्तमान वातावरण से सर्वथा भिन्न था। इस प्राथमिक वातावरण में संभवत कुछ जटिल कार्बोनिक अणुओं का संश्लेषण हुआ जो जीवन के लिए आवश्यक थे। सर्वप्रथम प्राथमिक जीव अन्य रासायनिक संश्लेषण द्वारा उत्पन्न हुए होंगे। यह कार्बोनिक अणु किस प्रकार उत्पन्न हुए। इसके उत्तर की परिकल्पना स्टेनले एल मिलकर तथा हेराल्ड सी उरे द्वारा 1953 में किए गए प्रयोगों के आधार पर की जा सकती है। उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण का निर्माण किया जो संभवत प्राचीन वातावरण के समान था। इसमें NH3, CH4 and H2S के अणु थे। पर ऑक्सीजन नहीं था। पात्र में जल भी था। इसे 100 डिग्री से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिंगारियां उत्पन्न की गई जैसे आकाश में बिजली एक सप्ताह के बाद 15% मिथेन से सरल कार्बोनिक यौगिकों में बदल गय। इनमें एमिनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण करते हैं।
6. मेंडल द्वारा मटर पर किए गए एकसंकर संकरण के प्रयोग तथा निस्कर्ष का वर्णन करें।
उतर – ग्रेगर जॉन मेंडल ऑस्ट्रिया देश के ब्रून नामक स्थान में ईसाइयों के एक मठ के पादरी थे। इन्होंने वैज्ञानिक खोजों से आनुवांशिकी की नीव डाली। इसीलिए इन्हें Father of genetics कहते हैं। इन्होंने एकसंकर संकरण के प्रयोग के लिए साधारण मटर के पौधे एवम् विपरीत लक्षण वाले गुण जैसे लंबे तथा बौने पौधे पर विचार किया। अपने प्रयोग में मेंडल ने एक बौने पौधे के सारे फुलों को खोलकर उनके पुंकेशर हटा दिए ताकि उनमें स्व-परागण न हो। फिर उन्होंने एक लंबे पौधे के फूलों को खोलकर इनके परागकणों को निकालकर बौने पौधे के फूलों के वर्तिकाग्र पर गिरा दिया। विपरीत गुणवाले इन दोनों जनक पौधों को मेंडल ने जनक पीढ़ी कहा तथा इन्हें P अक्षर से इंगित किया।
इस प्रकार परागकण के बाद जो बीज बने उनसे उत्पन्न सारे पौधे लंबे नस्ल के हुए। इस पीढ़ी के पौधों को मेंडल ने प्रथम संतति कहा तथा इन्हें F1 अक्षर से इंगित किया। फिर F1 पीढ़ी के पौधों का जब आपस में प्रजनन कराया गया तब अगली पीढ़ी F2 के पौधें में लंबे और बौने पौधों का अनुपात 3:1 पाया गया यानी कुल पौधों में 75% लंबे तथा 25% बौने हुए। लंबे 25% पौधे शुद्ध लंबे (TT) तथा शेष संकर नस्ल के लंबे (Tt) पौधे हुए। अर्थात संकर नस्ल के लंबे पौधों के प्रभावी गुण (T) तथा अप्रजाति गुण (t) के मिश्रण थे। इस आधार पर F2 पीढ़ी के पौधों के अनुपात 1:2:1 अर्थात TT:2Tt:tt से दर्शाया गया। 3:1 को लक्षणप्ररूपी तथा 2:1 को जीनप्ररूपी अनुपात कहा जाता है। इन्होंने इस प्रयोग में केवल एक जोड़े विपरीत गुणों की वंशागती का अध्ययन किया गया। इसीलिए इसे एकसंकर संकरण (Mono-hybrid cross) कहा जाता है।
निष्कर्ष- अप्रभावी गुण में न तो कोई बदलाव आता है और नाही ऐसा गुण लुप्त होता है। संकर नस्ल की पीढ़ी में दोनों विपरीत गुण साथ साथ होते हैं, परंतु अगली पीढ़ियों में पृथक अर्थात अलग-अलग हो जाते हैं। यह निष्कर्ष मेंडल का प्रथम नियम या पृथक्करण का नियम कहलाता है।
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10th Biology Solutions (Notes) in Hindi
Chapter 1 (जैव प्रक्रम :पोषण)
Chapter 5 (नियंत्रण और समन्वय)
Chapter 6 (जैव प्रक्रम : जनन)
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