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Class 10th Geography (Social Science) in Hindi Medium Chapter 1 NCERT Solutions (10 वीं भूगोल नोट्स हिंदी में 2022)

 

भूगोल: खण्ड (क) इकाई-1

भारत: संसाधन एवं उपयोग 


This Blog Post is dedicated to 10th Geography NCERT Notes in Hindi 10 वीं  भूगोल नोट्स हिंदी में 2022 भारत: संसाधन और उपयोग नोट्स हिंदी में भारत: संसाधन और उपयोग नोट्स हिंदी में सभी बोर्ड एग्जाम के लिए (विशेषकर बिहार बॉर्ड के लिए )

10th Geography Solutions (Notes) in Hindi for Bihar Board, MP Board, UP Board, Rajasthan, Chhattisgarh, NCERT, CBSE and so on.इस  ब्लॉग में हाई स्कूल भूगोल 10 वी सोलुशन नोट्स दिए हैंये सोलूशिन नोट्स परीक्षा के दृष्टी से बहुत बहुत ज्यादा महत्वूर्ण है आप इसे पढ़कर परीक्षा में अच्छा स्कोर कर सकते हैं  


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10th Geography Solutions (Notes) in Hindi


*वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. कोयला किस प्रकार का संसाधन है? 

उत्तर- अनवीकरणीय 

2. सौर ऊर्जा निम्नलिखित में से कौन-सा संसाधन हैः-

उत्तर- पुनः पूर्तियोग्य 

3. तट रेखा से कितने कि0 मी0 क्षेत्र सीमा अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र कहलाता है?

उत्तर- 250 N.M

4. डाकूओं की अर्थव्यवस्था का संबंध हैः-

उत्तर- संसाधनों के अनियोजित विदोहन से 

5. समुद्री क्षेत्र में राजनैतिक सीमा के कितने कि0 मी0 क्षेत्र तक राष्ट्रीय सम्पदा निहित हैः-

उत्तर- 12.2 कि0 मी0


10th Geography Solutions (Notes) in Hindi


*लघु उत्तरीय प्रश्न

1. संसाधन को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर- वस्तुतः संसाधन का अर्थ बहुत ही व्यापक है। यहाँ प्रसिद्ध भुगोलविद, ‘जिम्मेरमैन’ का कथन उल्लेखनीय है- ‘‘संसाधन होते नहीं, बनते हैं।’’
वर्तमान परिवेश में सेवा को भी संसाधन माना गया हैैै। कोई गायक या कवि या चित्रकार अपने क्रियाकलाप से धर्नाजन या स्वयं को संतुष्ट करता है,तब उनके द्वारा ये कार्य-कलाप भी संसाधन कहलाऐंगे। कवि का कविता-रचना, चित्रकार की चित्रकारी, गायक की गायिकी भी संसाधन हैं। सच तो यह है कि मानव स्वयं भी संसाधन है। क्योंकि इनके पास ज्ञान (तकनीक) होता है, जिसके वह किसी भी वस्तु को उपयोगी बना सकता है। अतः धारणा भ्रामक है कि संसाधन एक प्राकृतिक उपहार है। 

2.. संभावी एवं संचित-कोष संसाधन में अंतर स्पष्ट किजिए।
उत्तर- संभावी संसाधन ऐसे संसाधन होते हैं जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं, जिसे उपयोग में लाये जाने की संभावना रहती है। इसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया है। जैसे- हिमालयी क्षेत्र का खनिज, जिसका उत्खनन अधिक गहराई में होने के कारण दुर्गम एवं महँगा है। उसी प्रकार राजस्थान एवं गुजरात क्षेत्र में पवन और सौज ऊर्जा की असीम संभावनायें हैं, परन्तु अभी तक इनका सही रूप से विकास नहीं हो पाया है। 
जबकि, संचित कोष संसाधन भंडार वास्तव में संसाधान के ही अंश हैं, जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है। इनका तत्काल उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है। वर्तमान इनका उपयोग अत्यंत ही सीमित है। ऐसे संसाधन वन में या बाँधों में जल के रूप में संचित हैें।

3. संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए।
उत्तर- सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में संसाधनों की भूमिका होती है। किन्तु, संसाधनों का अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग विविध प्रकार के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देता हैैं। इन समस्याओं के समाधन हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता है। संसाधनों का नियोजित एवं विवेकपूर्ण उपयोग ही संरक्षण कहलाता है।

4. संसाधन-निमार्ण में तकनीक की क्या भूमिका है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संसाधन-निर्माण में तकनीक की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि अनेक प्रकृति-प्रदत्त वस्तुएँ संसाधन का रूप नहीं लेती जबतक कि किसी विशेष तकनीक द्वारा उन्हें उपयोगी नहीं बनाया जाता है। जैसे- नदियों के बहते जल से पनबिजली उत्पन्न करना, बहती हुई वायु से पवन ऊर्जा उत्पन्न करना, भूगर्भ में उपस्थित खनिज अयस्कों का शोधन कर उपयोगी बनना, इन सभी में अलग-अलग तकनीकों की आवश्यकता होती हैं।


10th Geography Solutions (Notes) in Hindi


*दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. संसाधन के विकास में ‘सतत् विकास’ की अवधारण की व्याख्या किजिए।
त्तर- संसाधन मनुष्य के जीविका का आधार है। जीवन की गुणवता बनाये रखने के लिए संसाधनों के सत्त विकास की अवधारणा अत्यावश्यक है। ‘संसाधन प्रकृति-प्रदत  उपहार है’ की अवधारणा के कारण मानव ने इनका अंधा-धुंध दोहन किया, जिसके कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो गयी हैं।
व्यक्ति के लालच-लिप्सा ने संसाधनों का तीव्रतम दोहन कर संसाधनों के भण्डार में चिंतनीय ह्यस ला दिया हैै। संसाधनों का केन्द्रीकरण खास लोगों के हाथों में आने से समाज दो स्पष्ट भागों में (सम्पन्न एवं विपन्न) बँट गया हैै। 
सम्पन्न लोगों द्वारा स्वार्थ के वशीभूत होकर संसाधनों का विवेकहीन दोहन किया गया। जिससे विश्व परिस्थितिकी में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। भूमंडीय तापन, ओजोन क्षय, पर्यावरण-प्रदुषण, मृदा-क्षरण, भुमि-विस्थापन, अम्लीय-वर्षा, असमय ऋतु-परिवर्तन जैसी पारिस्थितिकी-संकट पृथ्वी पर व्याप्त सभ्यता-संस्कृति को निगल जाने को तैयार है। अगर इन स्वार्थी तत्वों यो देशों द्वारा अनवरत-विदोहन चलता रहा तो पृथ्वी का जैव-संसार विनाश के आगोश में समा जाएगा।
उपरोक्त परिस्थितियों से निजात पाने एवं विश्व शांति के साथ जैव जगत् को गुणवतापूर्ण जीवन लौटाने के लिए सर्वप्रथम समाज में संसाधन का न्याय-संगत बँटवारा जरूरी है। दुसरे शब्दों में संसाधनों का नियोजित उपयोग होना आवश्यक हैै। इससे पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये, भविश्य की आवश्यकताओं को मद्देनजर, वर्तमान विकास को कायम रखा जा सकता है। ऐसी धारणा ही सत्त विकास कही जाती है। इससे वर्तमान विकास के साथ भविष्य भी सुरक्षित रह सकता है।

2. स्वामित्व के आधार पर संसाधन के विविध स्वरूपों का वर्णन कीजिए। 
त्तर-  स्वामित्व के आधार पर संसाधन के चार स्वरूप हो सकते हैंः- 
;पद्ध व्यक्तिगत संसाधन- ऐसे संसाधन किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होता है। जिसके बदले में वे सरकार को लगान भी चुकाते हैं। जैसे- भूखंड, घर व अन्य जायदाद
;पपद्ध सामुदायिक संसाधन- ऐसे संसाधन किसी सामुदाय के अधिपत्य में होता है, जिसका उपयोग समूह के लिए सुलभ होता है। जैसे- गाँवों में चारण भूमि, श्माशन, मंदिर या मस्जिद परिसर, सार्वजनिक पार्क आदि।
;पपपद्ध राष्ट्रीय संसाधन- कानूनी तौर पर देश या राष्ट्र के अन्तर्गत सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय हैं। देश की सरकार को वैधानिक हक है कि वे व्यक्ति संसाधनों का अधिग्रहण आम जनता के हित में कर सकती है। 
;पअद्ध अंतर्राष्ट्रीय संसाधन- ऐसे संसाधन का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्था करती है। तट रेखा से 200 कि0 मी0 की दूरी छोड़कर खूले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिपत्य नहीं होता है। ऐसे संसाधनों का उपयोग सिर्फ अनुसंधान हेतु अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति से किसी राष्ट्र द्वारा किया जा सकता है।



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